आयकर : नए घर खरीदारों को अतिरिक्त टीडीएस चुकाने से फौरी राहत


आयकर विभाग ने घर खरीदारों को टीडीएस कटौती से फिलहाल फौरी राहत दी है। इसके लिए संपत्ति बेचने वाले विक्रेता को 31 मई तक अपने पैन और आधार को लिंक कराना होगा। अगर विक्रेता इससे चूकता है तो खरीदार को बढ़ी दर से अतिरिक्त टीडीएस चुकाना होगा। इस मामले में कई लोगों को नोटिस भी जारी किए गए थे।



गौरतलब है कि पिछले एक साल में देशभर में करीब 16 हजार से अधिक घर खरीदारों को नोटिस भेजकर उनसे खरीदी संपत्ति पर अतिरक्त टीडीएस चुकाने को कहा गया था। आयकर विभाग का कहना था कि जिन विक्रेताओं ने यह संपत्ति बेची है, उनके पैन नंबर या तो निष्क्रिय हैं, या आधार से लिंक नहीं है।


इस स्थिति में खरीदार को अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा। लेकिन हाल ही में जारी एक सर्कुलर में विभाग ने ऐसे घर खरीदारों और विक्रेताओं को राहत देते हुए पैन और आधार को लिंक कराने के लिए 31 मई 2024 तक का समय दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मतलब यह है कि खरीदार को कर नोटिस खारिज करवाने के लिए विक्रेता से अपने पैन को अपने आधार से लिंक करवाने का आग्रह करना होगा।


कई खरीदारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया

आयकर विभाग द्वारा नोटिस मिलने के बाद कई घर खरीदारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं थी। उन्होंने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया, लेकिन आयकर विभाग के नोटिस का सामना करना पड़ रहा है।


विशेषज्ञ बोले - विक्रेता की हो जिम्मेदारी


क्या कहता है नियम


आयकर नियमों के अनुसार अगर खरीदी जा रही संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक होता है, तो घर खरीदने वालों को विक्रय मूल्य का एक फीसदी टीडीएस काटकर सरकार के पास जमा करना होता है। अगर संपत्ति बेचने वाले का पैन नहीं है या निष्क्रिय माना गया है तो टीडीएस की दर बढ़ कर 20 तक हो जाती है। 1 जुलाई 2023 से प्रभावी नियम के मुताबिक पैन को आधार से लिंक न करने पर पैन को निष्क्रिय मान लिया जाता है। आयकर विभाग द्वारा भेज गए नोटिस में विक्रेता के पैन के निष्क्रिय होने का हवाला देते हुए अतिरिक्त 19 फीसदी टीडीएस चुकाने की मांग की गई है।


इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर विभाग को विक्रेता की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए कि वह अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक कराएं, न की खरीदारों पर टीडीएस का बोझ डाला जाए। इतना ही नहीं तय तिथि तक पैन-आधार लिंक नहीं होने पर विक्रेता को ही नोटिस भेजा जाना चाहिए।

 भारतीय रिजर्व बैंक ने होम लोन लेने वालों को बड़ी राहत देते हुए भुगतान नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब गृह कर्ज की ब्याज दर बढ़ने पर संबंधित बैंक या वित्त संस्थान मासिक किस्त या लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प कर्जदार को देंगे। ग्राहक चाहे तो दोनों का मिश्रित विकल्प भी अपना सकता है।


नए नियम के अनुसार कर्जदारो को ब्याज दर बढ़ने पर यह तय करने का मौका मिलेगा कि वह अपने लोन की अवधि बढ़ाना चाहते हैं या फिर मासिक किस्त को बढ़ाना चाहते हैं। या फिर आप दोनों विकल्पों का मिश्रण अपनाना चाहते हैं। आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया है कि ब्याज दर फिर से तय करते समय लोन धारकों को एक निश्चित ब्याज दर पर स्विच करने का विकल्प दिया जाना चाहिए ताकि फ्लोटिंग या फिक्स में किसी एक का चुनाव करने में आसानी हो।


विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी होम लोन की ब्याज दरें बढ़ती हैं तो लोनधारक ईएमआई के बजाए कर्ज की अवधि को बढ़वा देता है।