मेरठ। दस वर्षों से प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका बिना स्कूल आए वेतन पा रही है। गुरुवार को मामला प्रकाश में आया तो बेसिक शिक्षा विभाग लीपापोती में जुट गया। एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें प्रधानाध्यापक अपना पक्ष रखते हुए अपने ऊपर पड़ रहे दबाव के बारे में बता रहे हैं।
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
सीना गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में सुजाता यादव वर्ष 2013 से सहायक अध्यापिका हैं। इस वर्ष जनवरी में कुलदीप सिंह प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हुए, अध्यापिका तब भी नहीं पहुंची। 18 मई को सत्र 2022-23 का समापन हुआ और ग्रीष्मावकाश की छुट्टी के बाद सत्र 2024-25 का भी आगाज हो गया, लेकिन सुजाता विद्यालय नहीं आई।
कुलदीप ने बताया कि कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। चार दिन पूर्व शिक्षिका अपने पिता के साथ स्कूल पहुंचीं और उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने लगीं। इसका उन्होंने विरोध कर रोक दिया।
पति ने कहा पत्नी का ख्याल रखे
कुलदीप का आरोप है कि सुजाता अपने पति को एसटीएफ में बड़ा अधिकारी बताकर दबाव भी बनाती हैं। सुजाता के पति ने भी अपने पद का परिचय देते हुए पत्नी का ख्याल रखने की बात कहते हुए फोन किए और कई दबंग लोगों के नाम भी बताए।
बीईओ सुरेंद्र गौड़ का कहना है कि छह महीने पहले मामला संज्ञान में आने पर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई थी। शिक्षिका का वेतन तभी से रोक दिया गया था। बीएसए आशा चौधरी का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
स्कूल में 91 बच्चे, दो शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय में 91 बच्चे पंजीकृत हैं। गैरहाजिर सुजाता को छोड़ दें तो दो ही शिक्षक बचे। प्रधानाध्यापक कुलदीप सिंह व सहायक अध्यापिका अंजलि चौधरी। इनके में से अगर एक अवकाश पर चला जाता है तो एक ही अध्यापक पर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी रहती है।