10 वर्षों तक हुआ gpf घोटाला, अब तक 11 BSAसमेत 61 अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज
*जीपीएफ घोटाला :* वर्ष 2003 से 2013 तक रहे अधिकारियों पर कार्रवाई
*अलीगढ़ में रहे 11 बीएसए समेत 55 पर मुकदमा दर्ज*
- शासन स्तर से कराई जांच में सामने आया घोटाला
- 07 जनवरी 2022 को इस मामले की रिपोर्ट शासन को दी गई थी
*अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता।*
बेसिक शिक्षा विभाग में सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में हुए *करीब पांच करोड़ रुपये के घोटाले* में मंगलवार को मुकदमा दर्ज हुआ है।
वर्तमान बीएसएस *डॉ. राकेश सिंह* की तहरीर पर थाना बन्नादेवी में दर्ज मुकदमे में वर्ष 2003 से वर्ष 2013 तक तैनात रहे 11 बीएसए, 34 खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और 10 वित्त एवं लेखाधिकारी सहित कई कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है।
इस घोटाले का पर्दाफाश टप्पल ब्लॉक के *सेवानिवृत्त शिक्षक जगदीश प्रसाद की शिकायत* के बाद हुआ था।
*अधूरे अभिलेख उपलब्ध कराएः* शिकायत पर तत्कालीन डीएम ने वरिष्ठ कोषाधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट *विनीत कुमार* से प्रकरण की जांच कराई।
जांच आख्या में कहा गया कि विभाग ने जो अभिलेख उपलब्ध कराए वे अपूर्ण, अहस्ताक्षरित, फटे हुए व बीच-बीच में पन्ने गायब हैं।
इसलिए धनराशि का सही आंकलन संभव नहीं।
इसलिए जनपद के समस्त ब्लॉकों और नगर क्षेत्र की सामान्य भविष्य निधि की समस्त अग्रिम व अंतिम भुगतान की शासन स्तर से विशेष जांच दल का गठन कर जांच कराना उचित रहेगा।
शासन के आदेश पर प्रकरण की जांच तत्कालीन वित्त लेखाधिकारी *प्रशांत कुमार* व डायट प्राचार्य *डॉ. इंद्र प्रकाश सिंह सोलंकी* ने की।
जांच शुरू होते ही परतें दर परतें उधड़नी शुरू हो गईं।
बड़ी धांधली की आशंका पर उन्होंने वर्ष 2003 के प्रकरणों से जांच शुरू की।
सात जनवरी 2022 को रिपोर्ट शासन को दी। इसमें कुल *4.92 करोड़ रुपये के गबन अनियमितता की आशंका* जताई।
अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा के आदेश पर बीएसए ने प्रकरण में मुकदमा दर्ज कराया है।
*विशेष जांच दल गठित करने की हुई संस्तुतिः* सिटी मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में कहा कि विभाग ने जो अभिलेख उपलब्ध कराए वे अपूर्ण, अहस्ताक्षरित,फटे हुए व बीच-बीच में पन्ने गायब हैं।
इसलिए धनराशि का सही आंकलन संभव नहीं।
इसलिए जनपद के समस्त ब्लाकों व नगर क्षेत्र की सामान्य भविष्य निधि की समस्त अग्रिम व अंतिम भुगतान की शासन स्तर से विशेष जांच दल का गठन कर जांच कराना उचित रहेगा।
तत्कालीन बाबू *देवेंद्र, शंकर सिंह, देवेंद्र आदि* की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए।
शिक्षक के कार्यकाल में जीपीएफ पटल पर तैनात रहे *15 से अधिक बाबू, 10 वित्त एवं लेखाधिकारी, 34 खंड शिक्षा अधिकारी, 11 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध* पाई गई।
डीएम ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी।
*2003-13 तक ये रहे बीएसए*
दिनेश सिंह, पुष्पा सिंह, अलताफ अंसारी, मनोज कुमार, डा. मुकेश कुमार सिंह, एमपी सिंह, डा. महेंद्र प्रताप सिंह, एसपी यादव, संजय शुक्ला, धीरेंद्र कुमार यादव, डा. लक्ष्मी कांत पांडेय।
*4.92 करोड़ रुपये का किया गबन*
शासन के आदेश पर प्रकरण की जांच तत्कालीन वित्त लेखाधिकारी प्रशांत कुमार व डायट प्राचार्य डा. इंद्र प्रकाश सिंह सोलंकी ने की।
जांच शुरू होते ही परतें दर परते उधड़नी शुरू हो गई। बड़ी धांधली की आशंका पर उन्होंने वर्ष 2003 के प्रकरणों से जांच शुरू की।
सात जनवरी 2022 को रिपोर्ट शासन को दी। इसमें कुल 4.92 करोड़ रुपये के गबन-अनियमितता की आशंका जताई।
"वीडियो कांफ्रेसिंग में अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए थे।
जिसके बाद थाना बन्नादेवी में धारा-409 (लोकसेवकों द्वारा धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।"
- *डा. राकेश कुमार सिंह, बीएसए*