लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी प्रताप सिंह बघेल पर विभागीय कार्यों में अनुशासनहीनता एवं स्वेच्छाचारिता के गंभीर आरोप लग रहे हैं। हाल ही में एक बैठक के दौरान उन्हें शिक्षामंत्री संदीप सिंह के समक्ष पैर पर पैर चढ़ाकर बैठते हुए देखा गया जो शासन प्रणाली की गरिमा एवं मयार्दा का स्पष्ट उल्लंघन है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह अधिकारी विभागीय कार्यों के संबंध में शिक्षामंत्री को रिपोर्ट देने के स्थान पर प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री से संपर्क स्थापित करता है, जिससे मंत्री की योजनाओं एवं निर्णयों को निरंतर बाधा मिल रही है।
संदीप सिंह 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण
घोटाले के समाधान हेतु गंभीर प्रयास कर रहे हैं, परंतु प्रताप सिंह बघेल इन प्रयासों में निरंतर रोड़ा बनते आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त, जूनियर एडेड 2022 की भर्ती प्रक्रिया को मंत्री आरक्षण नीति के अनुसार निष्पक्ष रूप से संपन्न कराना चाहते हैं, किंतु यह अधिकारी विद्यालय को नियुक्ति केंद्र मानते हुए आरक्षण के नियमों की अवहेलना कर रहा है और इन्हीं सब कारणों की वजह से जूनियर एडेड भर्ती 2022 से लटकी हुई है।
इसी प्रकार, जब मंत्री
नई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया आरंभ करना चाहते हैं, तो प्रताप सिंह बघेल रअनुपात समानुपातर का बहाना बनाकर प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ने दे रहा है। सबसे गंभीर आरोप यह है कि जब छात्र अपनी समस्याओं के समाधान हेतु इस अधिकारी से मिलने जाते हैं, तो यह उन्हें धमकाता है तथा फर्जी जाँच करवा कर उन्हें जेल भेजने की धमकी देता है, जिससे छात्रवर्ग में भय और आक्रोश व्याप्त है। कई बार छात्रों ने शिक्षामंत्री संदीप सिंह से इस अधिकारी की शिकायत भी की लेकिन
जिस पर मुख्यमंत्री का हाथ हो उसे कौन कुछ बोल सकता है।
सूत्रों के अनुसार यह अधिकारी मुख्यमंत्री का अत्यंत निकटवर्ती बताया जा रहा है, जिसके चलते शिक्षामंत्री स्वयं भी विभागीय कार्यों में प्रभावी रूप से हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है, अपितु प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से भी प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है। सोशल मीडिया में यह तस्वीर खूब वायरल हो रही है साथ ही छात्र मांग कर रहे कि इस गंभीर विषय पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए निष्पक्ष जाँच कराई जाए तथा आवश्यक तानुसार प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, जिससे शिक्षा विभाग की गरिमा तथा पारदर्शिता पुनः स्थापित हो सके।