प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता लाइब्रेरी की नियमावली शासन में फंसने के कारण इन पदों पर भर्ती के आसार नहीं दिख रहे। प्रदेश में पूर्व से संचालित 171 राजकीय महाविद्यालयों में लाइब्रेरियन (पुस्तकालयाध्यक्ष) के 110 पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं, जबकि नवनिर्मित 71 राजकीय महाविद्यालयों में भी 71 पदों की मंजूरी दी गई है।
शिक्षा निदेशालय में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बदले नियमों के अनुरूप असिस्टेंट प्रोफेसर (लाइब्रेरी) पदनाम के साथ संशोधित नियमावली मंजूरी के लिए शासन को भेजी गई है। हालांकि कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिलने के कारण इन पदों का अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को नहीं भेजा जा रहा है। इससे पहले आयोग की ओर से वर्ष 2005 और 2008 में इन पदों पर भर्ती निकाली गई थी। उसके बाद से 17 साल में लाइब्रेरियन के पदों पर भर्ती नहीं आई है। किसी कॉलेज में शिक्षक तो कहीं बाबू जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
एडेड कॉलेजों में लाइब्रेरियन भर्ती की कोई व्यवस्था नहीं
राजकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (लाइब्रेरी) की नियमावली मंजूर न होने के कारण प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में भी रिक्त तकरीबन 200 पदों पर भर्ती फंसी हुई है। उच्च शिक्षा निदेशालय के अफसरों की मानें तो मामूली बदलाव के बाद एडेड डिग्री कॉलेजों में यही नियमावली लागू हो जाएगी। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि इन पदों पर चयन किस माध्यम से होगा। नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर के चयन की जिम्मेदारी मिली है ऐसे में माना जा रहा है कि लाइब्रेरियन का चयन भी इसी के माध्यम से होगा लेकिन अब तक औपचारिक रूप से कोई व्यवस्था प्रभावी नहीं हुई है।