शासन द्वारा कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पास के स्कूल में भेजने के आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा विद्यालयों की पेयरिंग के नाम पर जो परिषदीय विद्यालय बंद किए जा रहे हैं।
यह न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की मूल भावना का अतिक्रमण है, बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि आरटीई के तहत गांव, मजरे में विद्यालय खोले गए थे
ताकि हर बच्चे को उसके घर के पास शिक्षा मिल सके। आज उन्हीं विद्यालयों को मर्ज करना न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के अधिकारों का हनन है। शासन इस आदेश को तत्काल वापस ले। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो संघ जन आंदोलन करेगा।
उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के लखनऊ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राजधानी के 445
विद्यालयों की प्रस्तावित पेयरिंग आदेश को तत्काल स्थगित किया जाए। विद्यालयों में संसाधनों और शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु और जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ लखनऊ के मनोज कुमार मौर्य ने भी कहा कि इसका विरोध किया जाएगा।