18 June 2025

ब्याज दरों में एक और कटौती संभव: एसबीआई रिसर्च ने जताया अनुमान, अगस्त में होनी है अगली बैठक

 

मई के दौरान देश में खुदरा और थोक महंगाई में तेज गिरावट आई है। खुदरा महंगाई 75 माह और थोक महंगाई 14 महीने के सबसे निचले स्तर पर है।


इन आंकड़ों को देखते हुए एसबीआई रिसर्च ने अनुमान जताया है कि आरबीआई अगली बैठक में ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है।



एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई में गिरावट की मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों खासकर सब्जियों और दालों की कीमतों में आई भारी गिरावट है।


खुदरा महंगाई दर घटकर मई में 2.82% रह गई, जो अप्रैल में 3.16 प्रतिशत पर थी। यह लगातार चौथा महीना है जब खुदरा महंगाई दर आरबीआई के तय दायरे से नीचे रही है। वहीं, यह पिछले पांच वर्षों में यह खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट की सबसे लंबी शृंखला है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के 4% के आसपास रहने का अनुमान जताया है।


पहली दूसरी तीसरी चौथी पूरे वित्तवर्ष तिमाही तिमाही तिमाही तिमाही 25-26 में


क्या कहती है रिपोर्ट


एसबीआई रिसर्च का मानना है कि अगर महंगाई इसी तरह नियंत्रण में रही तो जुलाई 2025 तक यह 2% या उससे भी नीचे जा सकती है। इससे रिजर्व बैंक के पास ब्याज दर में और कटौती करने का मौका बनेगा। जून 2025 में पहले ही 0.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। फरवरी से अब तक एक फीसदी की राहत दी गई है।


क्या होगा असर


अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है तो इसका असर कर्ज की ब्याज दरों पर देखने को मिलेगा। आवास-वाहन ऋण और पर्सनल लोन समेत अन्य कर्ज की मासिक किस्त में भारी राहत मिलेगी। इससे बाजार में खर्च और निवेश दोनों बढ़ सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में मदद करेगा।



आरबीआई के संकेत

आरबीआई ने रेपो दर में 0.50 फीसदी की बड़ी कटौती की थी, जबकि विशेषज्ञों को केवल 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद थी। उसने संकेत दिया था कि साल के अंत तक महंगाई चार फीसदी से नीचे रहेगी, ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश कम है। भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी।