हरदोई सीतापुर में बीएसए और प्रधानाध्यापक के बीच हुए विवाद का कारण एक शिक्षिका का पक्षपात ही रहा। पक्षपात के मामलों की यहां पर भी कमी नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारी खुलेआम अपने खास अध्यापकों का पक्ष लेकर उनकी हर तरह की मदद करते हैं। बदले में खास अध्यापक अपने साहब की सेवा में लगे रहते। खबर में शामिल दो प्रकरण महज समझाने के लिए हैं। कुछ ही विकास खंड को छोड़ दें तो सभी जगह यही स्थिति है। बीईओ के खास अध्यापक ही व्यवस्था चलाते हैं। यही लोग विद्यालयों में अच्छे से शिक्षण कार्य करने वाले अध्यापकों को परेशान भी करते हैं, जिससे उनके अंदर असंतोष पैदा होता, लेकिन चाहकर भी वह कुछ कर नहीं पाते।
3446 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं, इनमें नौ हजार से अधिक शिक्षक तैनात हैं। वैसे तो सभी शिक्षक और शिक्षिकाएं विद्यालयों में नियमित जाकर पढ़ाते हैं। उनके विद्यालयों का माहौल और शिक्षा की गुणवत्ता इसकी गवाही भी देती है, लेकिन बीईओ के खास अध्यापक सिर्फ हाजिरी तक ही सीमित रहते हैं। एक दो को छोड़कर सभी ब्लाक में खंड शिक्षा अधिकारी के खास शिक्षक हैं, जो साहब के आसपास ही रहते हैं। वहीं महानगरों के आसपास के कई अध्यापकों को विद्यालय न आने की छूट हैं, इसके बदले वह सुविधा शुल्क भी देते हैं।
प्रकरण एक
कोथावां बीईओ प्रभावती निरीक्षण के दौरान दो अध्यापकों को साथ रखती थीं। खुद काफी जूनियर होने के बाद भी उनके साथ रहने वाले अध्यापक वरिष्ठों पर रौब जमाते, जिससे वरिष्ठ खून का घूंट पीकर रह जाते। इतना ही नहीं कोई अध्यापक पांच मिनट देरी से विद्यालय पहुंचे या फिर किसी परेशानी में फंसकर जल्दी चला आए। अगर साहब का निरीक्षण हो गया तो हिसाब किताब दोनों अध्यापक ही देखते। परेशान होकर लोगों ने वीडियो बनाकर शासन को भेज दिया और बीईओ के साथ दोनों अध्यापक भी निलंबित हो गए।
प्रकरण दो
टड़ियावां ब्लाक में तो पूर्व में तैनात रहे बीईओ का एक अध्यापक इतना खास रहा कि 15 दिन उसने चिकित्सीय अवकाश लिया, लेकिन उसे आन लाइन नहीं किया। उपस्थिति रजिस्टर पर लाल पेन से चिकित्सीय अवकाश लिखा था, लेकिन 15 दिन बाट लौटकर उसने पूरे हस्ताक्षर बना दिए। अध्यापकों ने कहा कि यह क्या कर रहे तो बोले कि बीईओ से बात हो गई। यही नहीं सीसीएल के नाम पर लाख सख्ती होने के बाद भी अधिकांश ब्लाकों पर वसूली नहीं थम रही, जिसमें सुरसा में तो कार्रवाई भी हो चुकी पर अन्य बचकर खेल कर रहे हैं
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बीईओ के खास होने के कारण प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक उनके विषय में कार्रवाई तो दूर, बात तक नहीं कर पाते हैं, इसी बात को लेकर कहीं न कहीं उनके अंदर असंतोष पनपता है। सामान्य शिक्षक उनके विषय में कुछ भी बोलने या उनके अनुसार कार्य न करने पर उनके विद्यालय के निरीक्षक के साथ कार्रवाई भी करवा रहे हैं। इससे जो शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय जाकर अपना कार्य कर रहे हैं, उनमें आक्रोश पनप रहा है, जो कभी भी बाहर आ सकता हैं।
इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह का कहना है कि विद्यालयों में नियमित रूप से शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों की कमी नहीं है। उनकी बदौलत ही विद्यालय आदर्श बने और प्रदेश में नाम रोशन किया। दूसरी तरफ किसी भी अध्यापक को विद्यालय न जाने की छूट नहीं
है। चाहें वह किसी भी अधिकारी का खास हो, जिन अध्यापकों के विद्यालय न जाने की शिकायत मिलती, उनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है। उपस्थिति के लिए निरीक्षण अभियान भी चलाया जाएगा। रही बात किसी बीईओ के साथ रहने की तो अगर कोई अध्यापक खंड शिक्षा अधिकारी के साथ निरीक्षण करने जाता है तो उसका वीडियो बना लें।
दूसरी तरफ अगर कोई अध्यापक किसी अधिकारी के नाम पर नियमित रूप से न आकर केवल हस्ताक्षर करने आता है तो वहां के प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक मुझे 9453004173 पर फोन या वाट्सएप करें। उनका नाम पूरी तरह से गोपनीय रहेगा और विद्यालय न आने वाले अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई होगी।