मुंबई, एजेंसी। मुंबई आयकर अपीलीय अधिकरण ने एक मामले में एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई करदाता गलती से गलत आईटीआर फॉर्म भर देता है, तो इसे जानबूझकर की गई गलती या गंभीर उल्लंघन नहीं माना जा सकता। इसके कारण उसके कर छूट दावे को खारिज नहीं किया जा सकता।
अधिकरण ने मामले को दोबारा जांच के लिए आकलन अधिकारी के पास भेज दिया है। मामला एक संस्था से जुड़ा था, जिसने आईटीआर-7 दाखिल किया, जबकि उसके लिए सही फॉर्म आईटीआर-5 फॉर्म था।
संस्था ने कर छूट का दावा किया था, लेकिन सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर ने यह छूट यह कहकर खारिज कर दी गलत फॉर्म भरने से दावा अमान्य हो गया है।
‘करदाता का अधिकार नहीं छीन सकते’
अधिकरण ने ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि करदाता ने सभी आवश्यक जानकारियां और दस्तावेज सही तरीके से जमा किए थे। केवल गलत
फॉर्म भरने से किसी को उसका कानूनी अधिकार नहीं छीना जा सकता। अदालत ने कहा आयकर कानून का उद्देश्य कर चोरी पकड़ना है, न कि तकनीकी भूलों पर सजा देना।

