27 December 2025

बेसिक शिक्षा विभाग में विद्यालय प्रभार सीनियोरिटी पर स्थिति स्पष्ट, अलग-अलग मामलों के लिए तय हुए मानक

 

बेसिक शिक्षा विभाग में विद्यालय प्रभार सीनियोरिटी पर स्थिति स्पष्ट, अलग-अलग मामलों के लिए तय हुए मानक

लखनऊ।
बेसिक शिक्षा विभाग में विद्यालय प्रभार (Incharge Head/School Charge) को लेकर वरिष्ठता निर्धारण के नियमों को स्पष्ट कर दिया गया है। विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतर्जनपदीय, जनपदीय, अपर प्राइमरी तथा कंपोजिट विद्यालयों के लिए वरिष्ठता तय करने का अलग-अलग आधार निर्धारित किया गया है।



अंतर्जनपदीय स्थानांतरण केस

  • यदि दो शिक्षक एक ही समय पर अंतर्जनपदीय स्थानांतरण लेकर एक ही जनपद में कार्यरत हैं, तो उनकी वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति → जन्मतिथि (DOB) → नाम के अल्फाबेट के आधार पर तय होगी।
  • यदि अलग-अलग बैच में स्थानांतरण लेकर शिक्षक एक ही जनपद में सेवा दे रहे हैं, तो वरिष्ठता
    सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी कार्यमुक्ति/स्थानांतरण आदेश की तिथि से निर्धारित होगी।
  • नोट: ऐसे विद्यालय जहाँ अंतर्जनपदीय और मूल जनपद के शिक्षक साथ कार्यरत हों, वहाँ मूल जनपद का शिक्षक वरीय माना जाएगा, यदि उसकी मौलिक नियुक्ति स्थानांतरण तिथि से पूर्व की है।

जनपदीय केस

  • यदि एक ही बैच से नियुक्त दो या अधिक शिक्षक हैं, तो वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति → चयन गुणांक → DOB के आधार पर होगी।
  • यदि शिक्षक अलग-अलग बैच के हैं, तो वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति की तिथि से तय की जाएगी।

Upper Primary (अपर प्राइमरी) केस

  • यदि दो या अधिक शिक्षक एक साथ नियुक्त हैं, तो वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति → चयन गुणांक → DOB के अनुसार होगी।
  • अलग-अलग बैच के शिक्षकों के लिए वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति की तिथि से निर्धारित होगी।
  • यदि दो शिक्षक 2004 में साथ नियुक्त हुए हों और एक का प्रमोशन 2007 तथा दूसरे का 2009 में हुआ हो, तो वरिष्ठता
    मौलिक नियुक्ति → चयन गुणांक → DOB → नाम के अल्फाबेट के आधार पर तय होगी।
  • गणित-विज्ञान में सीधी नियुक्ति शिक्षक, प्रमोशन से आए शिक्षक से जूनियर माने जाएंगे।

कंपोजिट विद्यालय में वरिष्ठता

  • प्राइमरी (PS) के सहायक की वरिष्ठता PS के सहायक से निर्धारित होगी।
  • Upper Primary (UPS) के सहायक की वरिष्ठता UPS के सहायक तथा प्राइमरी के हेड के सापेक्ष तय होगी।

पारदर्शिता की दिशा में कदम

इन स्पष्ट मानकों से विद्यालय प्रभार, तैनाती और प्रशासनिक निर्णयों में एकरूपता व पारदर्शिता आने की उम्मीद है। साथ ही वरिष्ठता को लेकर उत्पन्न होने वाले विवादों में भी कमी आएगी।