सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि स्वायत्त निकायों के कर्मचारी सरकारी कर्मचारियों के समान सेवा लाभों का दावा अपने अधिकार के रूप में नहीं कर सकते हैं। जस्टिस एमआर शाह और संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, स्वायत्त निकायों के कर्मचारी सरकारी कर्मचारियों के साथ समानता का केवल इस आधार पर दावा नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसे संगठनों ने सरकारी सेवा नियमों को अपनाया है।
पीठ ने कहा, कर्मचारियों को कुछ लाभ देना है या नहीं यह विशेषज्ञ निकाय और उपक्रमों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। अदालत सामान्य तरीके से इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। कुछ लाभ देने के प्रतिकूल वित्तीय परिणाम हो सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए की। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (डब्ल्यूएएलएमआइ) के कर्मचारियों को पेंशन लाभ देने का आदेश दिया था।