परिषदीय स्कूलों की ड्रेस का पैसा, कोई करा रहा इलाज और किसी ने खरीदा खाद-बीज

जनपद के परिषदीय स्कूलों के बच्‍चों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के तहत खाते में भेजी गई धनराशि को अधिकांश अभिभावकों ने दूसरे मद में खर्च कर दिया है। किसी ने पैसे का उपयोग इलाज में कर दिया है तो कोई खाद-बीज खरीदकर खेती कर रहा है। किसी ने यह कहकर स्वेटर व ड्रेस नहीं खरीदा है कि इस बार काम चल जाएगा अगले साल देखेंगे। स्थिति यह है कि जिले में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक अभिभावकों ने स्वेटर व ड्रेस नहीं खरीदे हैं। जबकि कई अभिभावकों के पास तो इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह खाते में गया पैसा भी देख सकें।




3.34 लाख अभिभावकों के खाते में भेजे गए हैं पैसे
योजना के तहत जनपद में कक्षा एक से आठ तक के कुल 3.34 लाख बच्‍चों के अभिभावकों के खाते में स्कूल बैग, यूनीफार्म व जूता-मोजा के लिए 1100 रुपये प्रति छात्र धनराशि स्थानांतरित की जानी है। पहले चरण में 1.20 लाख तथा दूसरे चरण में 96 हजार अभिभावकों के खाते में धनराशि स्थानांतरित हो चुकी है, 1.18 लाख अभिभावकों के खाते में अभी भी धनराशि प्रेषित की जानी है।



समीक्षा में सामने आ चुकी है सत्यापन की खराब स्थिति
महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने प्रदेश के सभी जनपदों में डीबीटी को लेकर गत माह समीक्षा की थी। अभिभावकों के खाते में पैसा भेजने की खराब स्थिति मिलने व ब्योरा सत्यापित न हो पाने पर नाराजगी जताई थी। सभी बीएसए को प्रक्रिया जल्द पूरी करने के निर्देश भी दिए थे, बावजूद इसके नतीजा सिफर है।

क्‍या कहते हैं अभिभावक
अभिभावक मुनाती देवी का कहना है कि पैसा खाते में आया है कि नहीं अभी जानकारी नहीं है। मेरे दो बच्‍चे पढ़ते हैं। यदि पैसा आ गया होगा तो ड्रेस खरीद लेंगे। सुरेंद्र साहनी ने बताया कि मेरे दो बच्‍चे पढ़ते है, लेकिन पैसा सिर्फ एक का पैसा आया है। मैंने उसके लिए ड्रेस खरीद लिया है। पूरा सेट खरीदने में मुझे 1500 रुपये खर्च करने पड़े। इसी तरह से अभिभावक भरत गोंड का कहना है कि पैसा खाते में आ गया है। मैंने निकाल भी लिया है, इसे खेती के लिए खाद खरीदने में खर्च कर दिया हूं। इस बार पुरानी ड्रेस से काम चल जाएगा। रीना देवी ने बताया कि स्वेटर व ड्रेस के लिए पैसे मिले थे, लेकिन वह बेटी के इलाज में खर्च हो गए।


ड्रेस खरीदने के लिए किया जा रहा प्रोत्‍साहित
बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सभी शिक्षकों को निर्देशित कर दिया गया है कि वे अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें ड्रेस खरीदने के लिए प्रोत्साहित करें। ड्रेस के पैसे का दुरुपयोग न होने पाए। इस पर कड़ी नजर रखी जा रही है।