अधियाचन की गड़बड़ी ने छीना चयनितों से दोहरा लाभ, समायोजन को भटक रहे टीजीटी-पीजीटी 2016 के चयनित


प्रयागराज : एक जैसी पढ़ाई, एक ही दिन परीक्षा, एक ही दिन परिणाम, एक ही दिन विद्यालय आवंटन। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) व प्रवक्ता संवर्ग (पीजीटी) 2016 में चयनित अधिकांश शिक्षक तो नियुक्ति पा गए, लेकिन अधियाचन की गड़बड़ी ने पांच सौ अधिक चयनितों को सड़क पर पहुंचा दिया है। यह गड़बड़ी किसी भी स्तर से हुई, लेकिन सच यह है कि एक ही भर्ती में चयनित होने के बावजूद नियुक्ति से वंचित शिक्षक नियुक्ति पा चुके शिक्षकों से जूनियर तो होंगे ही, वेतन से वंचित होने के कारण आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के लिए पीजीटी व टीजीटी भर्ती परीक्षा अधियाचित पदों के सापेक्ष कराई। इसमें चयनित अधिकांश शिक्षक आवंटित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर वेतन प्राप्त कर रहे हैं। इसी परीक्षा में चयनित 500 से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं, जो गलत विद्यालय आवंटन का शिकार हो गए। चयन बोर्ड ने सामाजिक विज्ञान विषय में चयनित सुनील कुमार पंडित को मेरठ स्थित आरजी गर्ल्स इंटर कालेज आवंटित कर दिया। इसी तरह कला विषय के प्रकाश चंद्र को भी यही कालेज आवंटित किया गया। हुई है। अधियाचन गलत होने पर चयन बोर्ड ने भी यह नहीं देखा कि यह बालिका कालेज है, यहां पुरुष शिक्षक नहीं नियुक्त हो सकते।

इसी तरह कृष्ण कुमार श्रीवास्तव को अल्पसंख्यक कालेज आवंटित कर दिया गया। सामाजिक विज्ञान विषय के हौसला प्रसाद यादव को सुलतानपुर में तदर्थ शिक्षक के रिक्त पद पर भेज दिया गया। नियम विरुद्ध विद्यालय आवंटन से ये चयनित नियुक्ति नहीं पा सके। इसी तरह अलीगढ़ के दर्जन भर से अधिक पुरुष चयनित शिक्षकों को विद्यालय आवंटित करते समय भी नहीं देखा गया कि वह बालिका विद्यालय हैं। चयन बोर्ड के सचिव नवल किशोर का कहना है कि अधियाचित पदों के सापेक्ष विद्यालय आवंटन
किया गया। अधियाचन की गड़बड़ी जिला विद्यालय निरीक्षक के स्तर से हुई है। 

इन चयनितों ने अन्यत्र समायोजन के लिए चयन बोर्ड में प्रत्यावेदन दिया। मेरठ के जिला विद्यालय निरीक्षक ने जिले में पद रिक्त न होने की जानकारी के साथ सुनील कुमार पंडित को अन्य जिला में विद्यालय आवंटित करने क अनुशंसा भी भेजी, लेकिन चयन बोर्ड ने अब तक समायोजन नहीं किया। सुनील कुमार पंडित का कहना है कि पहले तो गलत विद्यालय आवंटित हुआ, उसके बाद चयन बोर्ड समायोजन न करके वेतन से वंचित कर आर्थिक चोट तो दे ही रहा है, नियुक्ति पा चुके शिक्षकों से जूनियर भी बना दिया। मांग उठाई जा रही है कि इस त्रुटि के जिम्मेदारों पर कार्रवाई निर्धारित होनी चाहिए, ताकि अभ्यर्थियों के साथ इस तरह का अन्याय होने से रोका जा सके।