लड़कियों की तुलना में लड़कों के एक ही कक्षा दोहराने की संभावना ज्यादा होती है। शारीरिक रूप से दंडित किए जाने का खतरा भी लड़कों को ही अधिक होता है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की एक वैश्विक शिक्षा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। 142 में से 130 देशों में ये हालात पाए गए हैं।
‘लीव नो चाइल्ड बिहाइंड : ग्लोबल रिपोर्ट ऑन बॉयज डिसेन्गेज्मेन्ट फ्रॉम एजुकेशन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में पढ़ने की आयु वाले करीब 13 करोड़ 20 लाख लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। रिपोर्ट में शिक्षा से लड़कों के इस तरह के अलगाव के पीछे कड़े अनुशासन, शारीरिक दंड, गरीबी और काम करने की आवश्यकता को कारण बताया गया है।
गरीबी भी वजह: गरीबी और घर चलाने के लिए पैसे की जरूरत लड़कों को स्कूल से दूर करती है। इन वजहों से लड़कियों के कभी स्कूल नहीं जा पाने की अधिक आशंका होती है, लेकिन लड़कों के आगे की कक्षाओं में नहीं पढ़ पाने और अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाने का खतरा अधिक है।
उच्च माध्यमिक कक्षाओं में भी लड़कों की संख्या कम●
● 57 देशों में पढ़ पाने के कौशल में 10 वर्ष की उम्र के लड़के लड़कियों की तुलना में पीछे।
● 73 देशों में उच्च माध्यमिक कक्षाओं में लड़कियों की तुलना में लड़कों की संख्या कम।
● 130 देशों में लड़कियों की तुलना में लड़कों के प्राथमिक कक्षां में फिर अधिक पढ़ने की संभावना।