रसोइयों को बीईओ दिलाएंगे सामग्री

गोंडा। परिषदीय स्कूलों में बच्चों को दोपहर में खाना खिलाने वाली रसोइयों को अब योजनाओं का लाभ मिलेगा। भोजन तैयार करते समय उन्हें एप्रेन, ग्लब्स व हेड कवर दिया जाएगा।


बीते वित्तीय वर्ष में इसके लिए 7670 रसोइयों को सामग्री देने के लिए 30 लाख 64 हजार रुपये का बजट स्कूलों को भेजा गया था। एक रसोइयों को सामग्री देने के लिए 400 रुपये की दर से बजट भेजा गया। इसके बाद भी रसोइयों को सामग्री नहीं दी गई। इसका खुलासा 20 मई के अंक में अमर उजाला ने अब एप्रेन के 30.64 लाख बजट में गोलमाल शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। इस पर उपनिदेशक सूचना ने रिपोर्ट मांगी। इधर, बीएसए डॉ. अखिलेश प्रताप सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारियों को सामग्री उपलब्ध कराकर उपभोग देने के आदेश दिए हैं।

परिषदीय स्कूलों में सबसे कम मानदेय पर सबसे अधिक काम करने वाली रसोइयों की स्कूलों में अनदेखी होती है। उन्हें सिर्फ 1500 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है, जो अब बढ़कर है लेकिन जुलाई से दिया जाएगा। इसके अलावा पांच सौ रुपये साड़ी के लिए मिलेंगे। स्कूलों को 400 रुपये की दर से भोजन बनाने की सामग्री दी जानी थी। चंद स्कूलों में छोड़ दें, तो कहीं भी रसोइयों को एप्रेन नहीं मिलता है। रसोइयों के कपड़े भी खराब हो जाते हैं। बीते वित्तीय साल में बेसिक स्कूलों में कार्य करने वाली रसोइयों को किचन एप्रेन देने के लिए विभाग ने 30 लाख 64 हजार रुपये का बजट मिला था। कुछ स्कूलों की रसोइयों को छोड़कर ज्यादातर रसोइयों ने बिना एप्रेन के ही खाना बनाने का काम किया। मामले को अमर उजाला ने उजागर किया तो प्रशासन भी हरकत में आया। अब स्कूल खुलने पर रसोइयों को सामग्री तो मिलेगी ही, प्रधानाध्यापकों को बजट का हिसाब भी देना होगा। उपभोग प्रमाण पत्र भी बीएसए ने मांगा है।
स्कूूलों में रसोइयों को मिलने वाली सामग्री जहां नहीं दी गई हैं, वहां दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही बजट का उपभोग प्रमाण पत्र भी मांगा गया है। डॉ. अखिलेश प्रताप सिंह, बीएसए