मऊ। जिले के परिषदीय विद्यालयों को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने की कवायद विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ रही है। दो साल पूर्व शासन ने विद्यालयों में प्रोजेक्टर, लैपटॉप और एलईडी के संचालन का सुचारू करने का निर्देश दिया था लेकिन जिले में इस व्यवस्था की रफ्तार सुस्त है।
कई ग्राम पंचायतों ने स्कूलों को इंटरनेट कनेक्शन दिया तो है, लेकिन सह सक्रिय नहीं हो सका है। ऐसे में स्मार्ट क्लास के संचालन के लिए शिक्षक अपने स्मार्टफोन या अन्य सुविधाओं से बच्चों को आधुनिक शिक्षा दे रहे हैं। निजी स्कूलों की तरह प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सुविधाओं में ऑपरेशन कायाकल्प योजना सहित अन्य मदों से विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्मार्ट क्लास की व्यवस्था लागू करने के बाबत परिषदीय विद्यालयों को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए दो साल पूर्व शासनस्तर से दिशा निर्देश जारी किया गया था। फाइबर कनेक्टिविटी के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम चरण में 200 से अधिक विद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ा जाना है, लेकिन इसमें ग्राम प्रधान रुचि नहीं ले रहे हैं। हालत यह है कि किसी परिषदीय विद्यालय को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ा नहीं जा सका है। जबकि जिले में लगभग 300 परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक अपने प्रयास से स्मार्ट क्लास संचालित कर रहे हैं। बीएसए डॉ. संतोष कुमार सिंह ने बताया कि ग्राम सचिवालयों के साथ ही परिषदीय विद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। ग्राम पंचायतों को ही यह काम कराना है। प्रक्रिया चल रही है।