गोरखपुर। परिषदीय विद्यालयों में बनने वाले मिड डे मील के संचालन में परिवर्तन लागत का रोड़ा बना हुआ है। जिस वजह से भोजन (बनाने में कार्यदायी संस्थाओं को भुगतान में समस्या आ रही है। कोटेदार के माध्यम से अनाज तो विद्यालयों को मिल गया है। मगर चार महीने से परिवर्तन लागत का भुगतान नहीं हुआ है। जैसे तैसे शिक्षक कार्यदायी संस्था से उधार में खाना बनवा रहे हैं ।
बकाया राशि बढ़ने की वजह से कई विद्यालयों में एमडीएम बनने की शिकायतें बीएसए कार्यालय को मिल रही हैं। जिले के 2741 विद्यालयों पर 4.12 लाख बच्चों के लिए एमडीएम तैयार कराया जाता है। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से साल भर की परिवर्तन लागत का ब्योरा मांगा गया था। बीएसए कार्यालय ने 42 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। मगर, शासन स्तर से महज अप्रैल की परिवर्तन लागत के रूप में 3.53 करोड़ रुपये कुछ दिन पूर्व ही जारी हुए हैं।
राशन के साथ भोजन तैयार करने के लिए प्राथमिक स्तर पर प्रति छात्र 4.97 रुपये तो उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.45 रुपये की धनराशि स्कूल के खाते में बेसिक शिक्षा विभाग अंतरित करता है। मौजूदा शैक्षिक सत्र में अप्रैल माह तक की ही परिवर्तन लागत स्कूलों को दी गई है। आवंटित परिवर्तन लागत में ही शिक्षकों को बुधवार को स्कूल में उपस्थित विद्यार्थियों को दूध भी पिलाना होता है।
बेसिक शिक्षा विभाग की इतनी महत्वपूर्ण योजना होने के बावजूद अब तक मई, जून, जुलाई व अगस्त में भोजन तैयार कर बच्चों को वितरित करने के बावजूद परिवर्तन लागत नहीं मिल सकी है। ऐसे में जहां पूरी योजना उधारी पर चल रही वहाँ सप्ताह में एक दिन नौनिहालों को दूध उपलब्ध कराना शिक्षकों के लिए सर्वाधिक परेशानी का सबब बना हुआ है। विभाग भले ही जिले में मानक के अनुसार एमडीएम संचालित करने का दावा कर रहा है लेकिन हकीकत में अधिकतर शिक्षक स्कूल में किसी तरह भोजन तैयार कर वितरित करने की जुगत में लगे हुए है।