अब शिक्षक बने एंबेस्डर, कक्षा के दो छात्र निभाएंगे मैसेंजर की भूमिका, पड़ोस में देंगे स्वच्छता की सीख

बहराइच,


। स्वास्थ्य का स्वच्छता से सीधा संबंध है। इस संबंध को प्रगाढ़ कर एनीमिया व कुपोषण जैसी बीमारियों से विद्यार्थियों के साथ ही पड़ोसियों की सेहत को बेहतर करने की बड़ी पहल की गई, ताकि स्वच्छ व स्वस्थ समाज की परिकल्पना मूर्तरूप ले सके। हेल्थ एंड वेलनेस एंबेस्डर का प्रशिक्षण लेकर शिक्षक ही इस जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे तो विद्यार्थी मैसेंजर की भूमिका में रहकर अपने परिवार व पड़ोसियों को स्वचछता का पाठ पढ़ाएंगे।

बहराइच आकांक्षात्मक जिला है। यहां एनीमिया व कुपोषण एक बड़ी चुनौती है। बेहतर पोषण, स्वच्छता से ही इससे निजात मिल सकती है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले के 1066 उच्च प्राथमिक विद्यालय व इंटर कालेज के शिक्षकों को हेल्थ एंड वेलनेस एम्बेसडर के रूप में चयनित किया गया है। हर कक्षा के दो-दो विद्यार्थियों का भी चयन कर उन्हें मैसेंजर की उपाधि दी गई है। चयनित शिक्षकों को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाया जा रहा है।

अब यह एम्बेसडर बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ विद्यार्थियों को स्वास्थ्य व स्वच्छता का पाठ भी पढ़ाएंगे। विद्यार्थी विद्यालय में आयोजित सत्र में सीखाए गए तरीकों को अपने परिवार व पड़ोस के लोगों भी बताएंग, ताकि स्वच्छता के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य व पोषण के बारे में लोग जागरूक हो सकें

विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ स्वास्थ्य व स्वच्छता की आदत डालने के लिए यह अभिनव कदम उठाए गए हैं। इनमें शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। समाज में सकारात्मक संदेश भी जाएगा।

डॉ एसके सिंह, सीएमओ, बहराइच

1690 को मिला प्रशिक्षण

बहराइच। पहल को धरातल पर उतारने के लिए चयनित स्कूल-कॉलेजों में से अब तक 852 स्कूलों के 1690 शिक्षकों को एंबेस्डर का प्रशिक्षण दिया गया है।इनमें हर विद्यालय से एक पुरुष व महिला कुल दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। सभी एंबेसडर हर हफ्ते एक घंटे रोचक गतिविधियों के माध्यम से विद्यालयों में सत्र आयोजित करेंगे। छात्र इन स्वास्थ्य संवर्धन संदेशों को समाज तक पहुंचाने के लिए मैसेंजर के रूप में कार्य करेंगे।

पिंक गोलियां एनीमिया से दिलाएंगी निजात

प्रशिक्षक डॉ तूलिका बाजपेयी व अतुल त्रिपाठी ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बच्चों को एनीमिया व इससे होने वाली समस्याओं से बचाने के लिए प्राथमिक विद्यालय में पांच से नौ वर्ष तक के बच्चों को सप्ताह में एक बार मध्यान भोजन को बाद आयरन की गुलाबी गोली और माध्यमिक विद्यालयों में 10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियों को सप्ताह में एक बार सुबह प्रार्थना सत्र के बाद आयरन की नीली गोली खिलाई जा रही है। इससे विद्यार्थियों में एनीमिया से निजात मिलेगी।