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🛑 NCF : नए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क में पढ़ाई के घंटे भी निर्धारित
_नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार नए एनसीएफ के तहत स्कूलों में अब हफ्ते में सिर्फ 29 घंटे पढ़ाई होगी। इसमें सोमवार से शुक्रवार तक पांच से साढ़े पांच घंटे और महीने के दो शनिवार को कुछ घंटे की पढ़ाई होगी। दो शनिवार को छुट्टी रहेगी। प्रत्येक स्टेज पर कक्षाओं का समय अधिकतम 35 मिनट रखा गया है। प्रमुख विषयों से जुड़ी कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्टेज के अनुसार 40 से 50 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।_
NCF 2023 👉 PDF में यहाँ से करें डाउनलोड परीक्षा ही नहीं पढ़ाई के भी दबाव से उबरेंगे स्कूली बच्चे, स्कूलों में हफ्ते में 29 घंटे ही होगी पढ़ाई
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार किए गए इस नए एनसीएफ में प्रमुख विषयों की कक्षाओं को छोड़ दें तो प्रत्येक स्टेज पर कक्षाओं का समय अधिकतम 35 मिनट तक ही रखा गया है। प्रमुख विषयों से जुड़ी कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्टेज के अनुसार 40 से 50 मिनट तक का समय निर्धारित किया गया है। अब स्कूलों में हफ्ते में अब सिर्फ 29 घंटे ही पढ़ाई होगी।
नई दिल्ली। स्कूलों में नए पाठ्यक्रम के लागू होने के साथ सिर्फ परीक्षा ही नहीं बल्कि पढ़ाई का भी पैटर्न बदल जाएगा। जिसका मुख्य फोकस बच्चों को पढ़ाई के बेवजह के दबाव से राहत देना है। यही वजह है कि स्कूलों के लिए जो नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार किया गया है, उसमें स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के लिए वैश्विक मानकों के आधार पर पढ़ाई के घंटे भी निर्धारित किए गए है।
इसके तहत स्कूलों में हफ्ते में अब सिर्फ 29 घंटे ही पढ़ाई होगी। इसमें सोमवार से शुक्रवार तक पांच से साढ़े पांच घंटे की और महीने के दो शनिवार को कुछ घंटे की ही पढ़ाई होगी। दो शनिवार को छुट्टी रहेगी।
कक्षाओं का समय किया गया निर्धारित
स्कूलों में पढ़ाई के लिए प्रस्तावित इस नए शेड्यूल में बच्चों को प्रत्येक स्तर पर पढ़ाई के दबाव से राहत देने की कोशिश की गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार किए गए इस नए एनसीएफ में प्रमुख विषयों की कक्षाओं को छोड़ दें तो प्रत्येक स्टेज पर कक्षाओं का समय अधिकतम 35 मिनट तक ही रखा गया है।
प्रमुख विषयों से जुड़ी कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्टेज के अनुसार 40 से 50 मिनट तक का समय निर्धारित किया गया है। इस दौरान पूरी पढ़ाई को रूचिकर और दबाव मुक्त बनाने के लिए स्कूलों में हर दिन खेल, प्रतिस्पर्धा और आर्ट जैसी गतिविधियां आयोजित होगी। जो पढ़ाई के घंटों में ही आयोजित होगी।
लंच के लिए बच्चों को मिलेगा घंटे भर का समय
इन गतिविधियों के लिए औसतन हर दिन होने वाली पढ़ाई के घंटे में से आधा समय दिया जाएगा। इसके साथ ही स्कूल समय में ही बच्चों को ब्रेकफास्ट और लंच के लिए भी करीब घंटे भर का समय तय निर्धारित किया गया है।
एनसीएफ के तहत स्कूलों में पढ़ाई के घंटे निर्धारित करने की यह पहल तब की गई है, जब अभी तक स्कूलों का कुछ ऐसा व्यस्त शेड्यूल देखने को मिल रहा था, जिसमें बच्चों को स्कूलों में दाखिल होने के बाद पूरे समय पढ़ाई में ही डूबे रहना होता है। लेकिन अब वह इस नई व्यवस्था के बाद दबाव मुक्त होकर पढ़ सकेंगे। इस व्यवस्था में प्रत्येक कक्षा के बाद पांच मिनट का ब्रेक भी रखा गया है।
साल में दस दिन बिना बैग के स्कूल आएंगे छात्र
एनसीएफ ने स्कूली बच्चों को पढ़ाई से बोझ से राहत सिर्फ यहीं तक नहीं दी है बल्कि साल में उनके लिए दस दिन ऐसे तय कर दिए है, जिसमें उन्हें बगैर बस्ते के स्कूल आना होगा। इन दौरान बच्चों को किताबों की जगह मौखिक और प्रयोगों के जरिए पढ़ाया जाएगा। इस दौरान साल में स्कूलों में सिर्फ 180 दिन ही कक्षाएं लगेगी। एनसीएफ के तहत साल में वैसे भी राष्ट्रीय अवकाश सहित ग्रीष्म व शीतकालीन छुट्टियां आदि के चलते स्कूल 220 दिन ही खुलते है।
इनमें से 20 दिन परीक्षाओं और 20 दिन स्कूलों में संचालित होने वाली अलग-अलग गतिविधियों में चले जाते है। ऐसे में पढ़ाई सिर्फ 180 घंटे ही होती है। इसके आधार पर पढ़ाई की पूरा शेड्यूल निर्धारित किया है। गौरतलब है कि एनसीएफ में छात्रों को परीक्षा के दबाव से राहत देने की भी पहल की गई है। इसके तहत बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार आयोजित करने का प्रस्ताव किया गया है।
फाउंडेशन स्टेज पर सिर्फ खेल और कहानी की लगेगी क्लास
एनसीएफ में वैसे तो स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर ( फाउंडेशन, प्रिप्रेटरी, मिडिल और सेकेंडरी ) पर पढ़ाई का एक शेड्यूल तय किया है लेकिन फाउंडेशन स्टेज का शेड्यूल सबसे रोचक है। जिसमें बच्चों की कक्षाएं सिर्फ कहानी, विचारों के आदान-प्रदान और खेल आधारित ही होगी।
इन दौरान उन्हें एक फ्री टाइम भी दिया जाएगा, जिनमें उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा, वह जो मन में आए कर सकेंगे। एनसीएफ की प्रस्तावित योजना के तहत स्कूली शिक्षा का कक्षा तीन से बारहवीं तक नया पाठ्यक्रम भी अगले साल तक तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही अगले शैक्षणिक सत्र से इस पर अमल भी शुरू हो जाएगा।