मोबाइल- टैबलेट और लैपटाप के साथ अन्य गैजेट की औसत आयु होगी पांच साल


इलेक्ट्रानिक कचरा या ई-वेस्ट से निपटने के लिए नए नियम तैयार करने के बाद केंद्र सरकार ने अब देश में बनने वाले या बेचे जाने वाले प्रत्येक इलेक्ट्रानिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरणों की एक औसत आयु तय की है। इस निर्धारित उम्र के बाद इन उपकरणों को ई-वेस्ट माना जाएगा।

यह औसत आयु इन उपकरणों को तैयार करने वाले उत्पादकों के लिए होगी। जिसके आधार पर उन्हें ई-वेस्ट को नष्ट करने का लक्ष्य दिया जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने फिलहाल 134 इलेक्ट्रानिक्स और इलेक्ट्रिकल उत्पादों या उससे मिलते-जुलते उपकरणों की औसत आयु निर्धारित की है। स्मार्ट फोन और लैपटाप आदि की औसत उम्र जहां पांच साल निर्धारित की गई है वहीं फ्रिज की औसत उम्र दस वर्ष, वाशिंग मशीन की नौ वर्ष, पंखे की दस वर्ष, रेडियो सेट की आठ वर्ष, टैबलेट
आइपैड की पांच वर्ष स्कैनर की पांच वर्ष और इलेक्ट्रिकल ट्रेन और रेसिंग कार (खिलौना) की औसत आयु दो वर्ष तय की गई है।

ई-वेस्ट से निपटने के लिए एक अप्रैल 2023 से प्रभावी हुए नए नियमों के तहत ई-कचरा पैदा करने वाले ब्रांड उत्पादकों पर ही इसे नष्ट कराने की जिम्मेदारी होगी। उन्हें किसी भी अधिकृत री-साइक्लर से पैदा किए जाने वाले ई-कचरे के बराबर या फिर निर्धारित मात्रा के बराबर ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग का सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके बाद ही उन्हें नए उत्पादन की अनुमति दी जाएगी। यह प्रक्रिया ब्रांड उत्पादक को हर साल अपने नए उत्पादन की अनुमति के साथ अपनानी होगी।


कब उठाया गया कदम

केंद्र सरकार ने यह कदम तब उठाया है, जब देश में हर साल करीब 11 लाख टन ई-वेस्ट पैदा हो रहा है। हालांकि उनमें से अभी सिर्फ दस प्रतिशत का ही संग्रहण हो पा रहा था। ऐसे में देश में ई-वेस्ट एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। वैसे तो केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए पहले भी नियम बनाए थे, लेकिन इन नियमों के तहत ब्रांड उत्पादक को ही इनके संग्रहण और इसे नष्ट करने की जिम्मेदारी थी। नए नियमों के तहत उत्पादकों को इनका संग्रहण करने और नष्ट करने की जिम्मेदारी से मुक्त जरूर किया गया है, लेकिन इन्हें हर साल तय मात्रा में ई-वेस्ट के री-साइक्लिंग का प्रमाणपत्र लेना होगा। ऐसा नहीं करने पर उन पर भारी जुर्माना और जेल की भी कार्रवाई होगी।



उत्पादकों को री-साइक्लर से लेना होगा प्रमाणपत्र
उदाहरण के तहत यदि कोई उत्पादक कैमरा तैयार करता है और उसकी औसत आयु दस वर्ष निर्धारित है, तो नए लक्ष्यों के तहत उनसे दस वर्ष पहले जितने कैमरे तैयार किए है, उसके 60 प्रतिशत हिस्से को नष्ट करने का प्रमाणपत्र उसे किसी अधिकृत री-साइक्लर से लेना
होगा। इसके आधार पर ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) उन्हें नए उत्पादन की अनुमति देगा। इसके तहत देश भर में री-साइक्लिंग का एक नया तंत्र खड़ा किया गया है, जो अब इस तरह के प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसके बदले वह ब्रांड उत्पादकों से पैसा लेगा।