फाइलों में फंसे रहे 4.47 लाख, शिक्षक ने दम तोड़ा




प्रयागराज, बाला प्रसाद कुशवाहा इंटर कॉलेज बलरामपुर बरेठी में इतिहास के प्रवक्ता नील रतन चौधरी का सोमवार को एक निजी अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह पिछले पांच महीने से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। दुखद पक्ष यह है कि अंतिम समय में इलाज के लिए भी उनके एरियर का भुगतान तीन साल में भी नहीं हो सका। उनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से इतिहास प्रवक्ता के रूप में हुई थी। वह 17 जुलाई 2016 में तदर्थ प्रधानाचार्य बने। उसी समय से तदर्थ प्रधानाचार्य का वेतन मिलना चाहिए था लेकिन प्रबंधन की हीलाहवाली के कारण तदर्थ प्रधानाचार्य का वेतन नहीं मिला।


लंबी लड़ाई के बाद 2020 में उनका वेतन निर्धारण हो सका। तदर्थ प्रधानाचार्य के रूप में सेवा देने पर तकरीबन 4.47 लाख रुपये एरियर की फाइल पिछले तीन साल से कॉलेज, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय और शिक्षा निदेशालय में धूल खा रही थी। ईश्वरदीन छेदीलाल इंटर कॉलेज जसरा के पूर्व प्रधानाचार्य राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शशिकांत मिश्र और माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी के प्रयासों से चार सितंबर को एरियर की अनुमन्यता मिली और डीआईओएस कार्यालय को 11 सितंबर को ग्रांट मिल गई। लेकिन इसके बावजूद डीआईओएस कार्यालय और कॉलेज प्रबंधन की अनदेखी के कारण दो महीने में भी उनकी बकाया राशि 4,47,873 खाते में नहीं भेजी जा सकी। माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉक्टर हरि प्रकाश यादव, माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री अनुज कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष राम प्रकाश पांडेय आदि ने निधन पर शोक व्यक्त किया है।