नवाचार से छात्रों को जोड़ेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

कॉलेज को जो मुकाम मिला वह पूर्वजों का आशीर्वाद कुलपति


मंझनपुर। महेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज आलमचंद्र का वार्षिकोत्सव बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने सीएम योगी आदित्यनाथ का स्वागत अभिनंदन पत्र पढ़कर भेंट किया। कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में इस कॉलेज को जो मुकाम मिला है वह पूर्वजों का आशीर्वाद है। आज इस क्षेत्र की बालिकाओं व बालकों को शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है। इसके बाद सीएम को अभिनंदन पत्र भेंट किया।


मंझनपुर(कौशाम्बी), संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को करीब दो बजे महेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज आलमचंद्र पहुंचे। सीएम ने कॉलेज के संस्थापक देवेंद्र नाथ श्रीवास्तव और बाबू महेश्वरी प्रसाद को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने छात्रों को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जानकारी देते हुए छात्रों को पंरापरागत पढ़ाई-लिखाई के अलावा हस्तशिल्प व खेलकूद से जोड़ने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ओडीओपी योजना में हम क्या नयापन दे सकते हैं, इसके शोध का केंद्र हमारे विद्यालयों को बनना होगा।


मौसम की खराबी के कारण मुख्यमंत्री अपने निर्धारित कार्यक्रम से करीब तीन घंटा देरी से 205 बजे कार से पहुंचे। कॉलेज के संरक्षक व सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने उनका स्वागत किया। न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने कॉलेज की स्थापना की जानकारी दी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि छह दशक पूर्व जब अपने पूर्वजों की धरोहर को सुरक्षित करने और उस परंपरा को यहां की स्मृतियों में बने रहने के लिए उस समय के प्रख्यात अधिवक्ता देवेंद्रनाथ श्रीवास्तव ने इस कॉलेज की शुरुआत की होगी। उस समय यह क्षेत्र कितना पिछड़ा रहा होगा, लेकिन मन में एक भाव था परोपकार का, जनसेवा का और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हुए उनके नाम को बनाए रखने का और आज उनका यह सपना यहां पर महेश्वरी प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के साकार रूप में हम सबके सामने है। संस्थापकों को विन्रम श्रद्धांजलि देते हुए सीएम ने कहा कि हम सब रामचरित मानस पढ़ते होंगे, और भी धार्मिक ग्रंथों को पढ़ते होंगे।



सभी ग्रंथों में ज्ञान को महत्वपूर्ण माना गया है। कहा कि 2526 बच्चे वर्तमान में इस विद्यालय में हैं, इनमें से 1353 बालिकाएं पढ़ रही हैं। यह बहुत शुभ संकेत है। 2500 से अधिक बालकों को उन्हीं के जनपद में उन्हीं के गांव में शिक्षा का उत्तम केंद्र मिला है। इसके लिए विद्यालय के संस्थापकों के प्रति हमारे मन में कृतज्ञ का भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति और कुलपति प्रेरणा के केंद्र हैं और आप सौभाग्यशाली हैं कि वे आपके बीच में अभिभावक के रूप में बैठे हुए हैं।