मुहम्मदाबाद। ग्रामीण अंचलों के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे सर्दी से ठिठुर रहे हैं। यूनिफॉर्म का स्वेटर नहीं पहने हुए हैं।
शिक्षा विभाग का दावा है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से यूनिफॉर्म का पूरा पैसा अभिभावकों के खाते में पहुंचा दिया गया है। फिर भी स्वेटर नहीं खरीदे गए हैं। अभिभावकों से बात की तो कुछ बच्चों की चिंता नहीं करते नजर आए तो कुछ को बैंक से वह पैसा प्राप्त नहीं हो सका। इसमें अभिभावकों को जागरुक कर पाने में शिक्षा विभाग का प्रयास भी कमजोर नजर आया।
स्कूल में जब ग्राउंड रिपोर्ट जानी गई तो यहां कुछ बच्चे यूनीफॉर्म और स्वेटर पहने मिले। लेकिन कुछ बच्चे बिना यूनीफॉर्म और स्वेटर के स्कूल आए थे। शिक्षा विभाग इस मद की रकम सीधे अभिभावकों के बैंक खाते में पहुंचाती है। फिर भी सर्दी के मौसम में काफी बच्चे स्कूली ड्रेस कोड के तहत नहीं थे। अध्यापकों व छात्रों से बातचीत हुई तो सर्दियों में स्वेटर उपलब्ध न होने के कई कारण सामने आए।
सर्दी के समय में स्कूलों में बच्चों के स्वेटर पहनकर न आने के बारे में जब मुहम्मदाबाद, कुसमिलिया, ऐरी रमपुरा, गोरन, डकोर व मोहाना आदि गांवों में तैनात शिक्षकों का कहना है कि छात्रों को स्कूली ड्रेस, जूता, मोजा एवं स्वेटर पहले स्कूलों द्वारा उपलब्ध कराए जाते थे, लेकिन कुछ समय से व्यवस्था में परिवर्तन कर इस मद की 1200 रुपये धनराशि छात्रों के अभिभावकों के बैंक खाते में पहुंचाई जाने लगी है।
मुहम्मदाबाद के कंपोजिट स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रदीप का कहना है कि बच्चों से बार-बार स्वेटर पहनकर स्कूल आने को कहा जा रहा है। फिर भी कुछ बच्चे बिना स्वेटर के ही स्कूल आ रहे हैं।
स्कूल में बिना स्वेटर पहने पहुंचे कक्षा तीन के छात्र निर्दोष से बात की गई तो उसने बताया कि पिताजी खेती के कामों में व्यस्त हैं, इसलिए स्वेटर खरीदने नहीं जा सके। एक-दो दिनों में ले आएंगे।
मुहम्मदाबाद। कक्षा पांच के छात्र ऋषभ का कहना है कि पैसा पिता के खाते में पहुंच गया है। बैंक से निकालने गए, सर्वर न आने से पैसा नहीं निकल पाया। इससे स्वेटर खरीदने में देरी हो गई है।
अभिभावकों पर ज्यादा दबाव नहीं डाल सकते हैं। उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। चौपालों में भी अनुरोध किया जा रहा है कि बच्चों के स्वेटर खरीद लें। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि जिन बच्चों के खाते में डीबीटी हो गई है, उनके अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर बच्चों के स्वेटर खरीदने के लिए कहें। -ज्ञानप्रकाश अवस्थी, बीईओ डकोर