केवल हाशिए पर शिक्षक और भी विभाग और कर्मचारी,क्यों नहीं


*केवल हाशिए पर शिक्षक और भी विभाग और कर्मचारी,क्यों नहीं*

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*जब आप भी मानते हैं भारत 2047 तक विकसित* होगा ...रियल टाइम अटेंडेंस और डिजिटाइजेशन द्वारा इंसान को मशीनों के हवाले करने की इतनी जल्दी क्यों ... बेसिक स्कूलों के बारे में या तो आपको पता नहीं है या आंख और कान जानबूझकर बंद कर रखे हैं ...
ग्रामीण परिवेश आज भी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए चुनौतियों से जूझ रहा है ... आज भी हम कहीं के लिए भी निकलते हैं तो सोचे तय समय और पहुंचने के रियल टाइम में फर्क पड़ता ही है ... अगर लागू करना ही चाहते हैं तो क्या स्कूल जाने के समय सारे रास्ते शिक्षकों और बच्चों के निकलने के लिए रोक सकते हैं जिससे सभी रियल टाइम पर स्कूल पहुंच सकें ... 
अब आते हैं टाइम एंड मोशन पर आखिर किस समिति की रिपोर्ट है यह जिसमें बाल मनोविज्ञानी , मानवाधिकार और श्रम कानून का पालन कराने वाले लोग शामिल थे 👉👉... *या यह एक व्यक्ति की मानसिक बुनावट की देन थी ...* 
विकसित देशों की तुलना में मानव को इतना भी न मशीनों के हवाले करिए कि मानवता समाप्त हो जाए जिससे विकसित देश भी परेशान हैं ...
 *जीवन को इतना जटिल ना बनाइए कि जीने की इच्छा समाप्त हो जाए ...* 

 *रियल टाइम के चक्कर में रास्ते में घायल अपने ही साथी को मदद ना पहुंचा पाएं , खुद घायल होने पर भी स्कूल पहुंचने की जद्दोजहद में शहीद हो जाएं ...* टाइम एंड मोशन के फेर में कहीं अपने ही साथी को अस्वस्थ होने पर भी अस्पताल स्कूल समय बाद जाने के लिए बाध्य करें ... *किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर उसको इलाज के लिए ना ले जा पाएं ... क्योंकि टाइम एंड मोशन के अनुसार शिक्षक जिंदा स्कूल से बाहर नहीं निकल सकता इसकी अर्थी ही बाहर जा सकती है ... मानते हैं आप सर्वशक्तिमान हैं तो क्या आप स्कूल समय में आलू खुदाई , धान रोपाई इत्यादि बच्चों से लिए जाने वाले कार्यों पर रोक*
 लगा सकते हैं जिससे
 *वह रियल टाइम अटेंडेंस दे सके ... क्या आप विद्यालय समय* में भूख प्यास लघुशंका , अस्वस्थता पर रोक लगा सकते हैं ... *क्या स्कूल में ही सारी सुविधाएं उपलब्ध करा सकते* हैं ...

क्या आप ट्रैफिक वाले ,सब्जी वाले , फल वाले , बैंक वाले हर दुकानदार , हर अधिकारी को यह हुक्म दे सकते हैं कि बेसिक शिक्षक को देखते ही सारे काम छोड़कर उसका काम प्राथमिकता के आधार पर करें ... 

फिर इतनी जल्दी क्यों 
❓❓❓❓❓
कुछ तो शेष हैं, ,,कहीं तो ,,