भवन निर्माण में गबन का आरोपी प्रधानाध्यापक 15 वर्ष बाद निलंबित


सुल्तानपुर। 15 साल पहले स्कूल भवन बनवाने के लिए आए बजट में एक प्रधानाध्यापक ने करीब आधी रकम गवन कर ली। तब से आज तक यह विद्यालय बन नहीं पाया। इसमें सबसे हैरतंगेज पहलू यह है कि 15 बरसों में यह गबन तो पकड़ा गया, रिकवरी हुई, रिकवरी की रकम फिर प्रधानाध्यापक ने निकाल ली। किंतु इस दौरान न तो प्रधानाध्यापक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और न ही उसका निलंबन हो सका। अब जाकर बीएसए ने

प्रधानाध्यापक को निलंबित किया है। धनपतगंज ब्लॉक के धर्मदासपुर स्थित प्राइमरी स्कूल के निर्माण के लिए वर्ष 2008-09 में 5.65 लाख रुपये का बजट आया था। तत्कालीन प्रधानाध्यापक पवन कुमार गुप्ता ने यह
सारी धनराशि तो निकाल ली, काम केवल 2.90 लाख का ही करवाया। ऐसे में 2014 से इस प्रकरण की जांच शुरू हुई। जांच में गबन साबित भी हो गया। किंतु प्रधानाध्यापक के खिलाफ रिकवरी के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच विभागीय जांच से लेकर जिलाधिकारी तक जांच कराते रहे। बीएसए आते रहे और जाते रहे। किंतु किसी ने कार्रवाई नहीं की। न ही इस स्कूल का निर्माण ही कराया जा सका। क्योंकि धीरे-धीरे स्कूल की लागत बढ़ती जा रही थी।


इस बीच प्रधानाध्यापक के वेतन से गबन की रकम की रिकवरी भी करवाई गई। किंतु वह रकम भी प्रधानाध्यापक ने किसी तरह से निकलवा ली। बीएसए दीपिका चतुर्वेदी ने जो निलंबन आदेश 22 अप्रैल को किया है। उसमें इन लंबी कार्रवाई का तो जिक्र है। किंतु निलंबन या एफआईआर की केवल धमकी ही अफसर देते रहे। जिसका खामियाजा इस स्कूल के बच्चे भुगतते रहे हैं।

बीएसए ने फिलहाल एकलखी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक का पद संभाल रहे पवन कुमार गुप्ता को निलंबित करते हुए उन्हें बीईओ कार्यालय भदैयां से अटैच कर दिया है। साथ ही लेखाधिकारी समग्र शिक्षा और खंड शिक्षाधिकारी की टीम को जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने की आदेश दिए हैं।


आखिर किसका दबाव झेलते रहे अफसर

जिस तरह से 15 साल पहले यह गबन हुआ और 10 साल तक जांच और कागज ही दौड़ते रहे। इस दौरान आरोपी कठोर कार्रवाई से बचा रहा। उसके पीछे अफसरों पर भारी दबाव बताया जाता है। यह दबाव राजनीतिक बताया जा रहा है। बहरहाल अब मौजूदा बीएसए ने हिम्मत दिखाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।



अब भेजेंगे स्कूल निर्माण के लिए मांग : बीएसए

बेसिक शिक्षा अधिकारी दीपिका चतुर्वेदी ने बताया कि यह बेहद पुराना प्रकरण है और भवन निर्माण की लागत बहुत बढ़ चुकी है। इसलिए अब स्कूल का निर्माण पूरा कराने के लिए नए सिरे से मांग भेजी जाएगी, ताकि स्कूल अपने भवन में चल सके।