मुश्किलें बढ़ीं: अफसरों के गले की फांस बनी बाबुओं की फर्जी नियुक्ति


डीएवी इंटर कॉलेज मीरापुर में दो बाबुओं की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों के गले की फांस बन गई है। मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है कि आखिरकार बाबुओं की कथित नियुक्ति के तीन साल बाद तक मंजूरी के मामले में कोई निर्णय क्यों नहीं हो सका। कोर्ट ने इस देरी के लिए जिम्मेदार पूर्ववर्ती अधिकारी का नाम भी बताने को कहा है ताकि विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इस मामले की सुनवाई अब 23 अप्रैल को होगी।

दूसरी ओर प्रबंध समिति ने हलफनामा देकर दोनों बाबुओं की नियुक्ति की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। कॉलेज के पूर्व प्रबंधक चौधरी जितेन्द्र नाथ सिंह ने हलफनामा में लिखा है कि आठ दिसंबर 2020 को हुई लिपिकों की कथित नियुक्ति के लिए उन्होंने चयन समिति का गठन नहीं किया था और न ही मामला उनके संज्ञान में है। चयन समिति के सदस्य के रूप में उनका नाम बिना उनकी अनुमति और जानकारी के अंकित है। अभिलेखों पर उनका हस्ताक्षर कूटरचित और फर्जी है।

जिस विज्ञापन के आधार पर नियुक्ति दिखाई गई है वह भी फर्जी है क्योंकि उसमें प्रकाशित अखबार और तिथि की जानकारी नहीं है। इसी प्रकार प्रबंध समिति के पूर्व उपाध्यक्ष हीरालाल यादव और कोषाध्यक्ष रवि प्रकाश ने भी अभिलेखों पर अपने फर्जी हस्ताक्षर और नियुक्ति की जानकारी नहीं होने का हलफनामा दिया है.


जीआईसी प्रवक्ता के बेटे की नियुक्ति

डीएवी इंटर कॉलेज में रीतेश जायसवाल और प्रभंजन त्रिपाठी की लिपिक के पद पर फर्जी नियुक्ति हुई है। इनमें प्रभंजन त्रिपाठी पं. दीन दयाल उपाध्याय मॉडल इंटर कॉलेज कमला नगर बहरिया में प्रवक्ता प्रभाकर त्रिपाठी के पुत्र हैं जबकि रीतेश जायसवाल जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के एक बाबू का साला बताया जा रहा है।

डीएवी इंटर कॉलेज मीरापुर में आठ दिसंबर 2020 में दो बाबुओं की नियुक्ति के मामले की जानकारी मुझे नहीं है। मेरे कार्यकाल में ऐसी कोई फाइल मेरे समक्ष नहीं आई।

आरएन विश्वकर्मा, (23 जून 2017 से 30 जून 2022 तक प्रयागराज के डीआईओएस रहे) वर्तमान में मंडलीय उप शिक्षा निदेशक