NPS का दंश : 13 साल नौकरी, वेतन 80 हजार और पेंशन 'शून्य'


माध्यमिक शिक्षकों के नई पेंशन खाते में धनराशि प्रदर्शित करने के विभागीय दावों की पोल खुल गई। सत्र 2018- 19 में 31 मार्च को नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) से आच्छादित एक शिक्षिका रिटायर हुईं लेकिन उन्हें एक पैसा नहीं मिला। इसे लेकर ऑल टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) ने नाराजगी जताई है।


वर्ष 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को नई पेंशन स्कीम में रखा गया है। इसके लिए शिक्षक के हिस्से से धनराशि काटे जाने और सरकार की ओर से अपना अंशदान दिए जाने का नियम है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में पिछले 14 साल के स्थान पर केवल तीन वर्ष से ही

कटौती की जा रही है। यह भी धनराशि अपवाद छोड़ शिक्षकों के खाते में अभी भी प्रदर्शित नहीं हो रही है।

बीएनएसडी इंटर कॉलेज, चुन्नीगंज से 31 मार्च 2019 को रिटायर हुईं अनीता तिवारी की नियुक्ति 20 अक्तूबर 2005 को हुई थी। उनके वेतन से पेंशन स्कीम के नाम पर दो लाख की कटौती की गई है। रिटायरमेंट के बाद पेंशन तो दूर की बात है, उनकी अपनी कटौती भी नहीं मिली। अंतिम वेतन 80 हजार होने के बाद भी पेंशन 'शून्य' है।

अटेवा के मंडलीय मंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को यह जानकारी नहीं है कि रिटायरमेंट के बाद एनपीएस की धनराशि कैसे वापस मिलेगी। जिन शिक्षकों की प्रतिमाह 6000 से 7000 प्रतिमाह कटौती हो रही है, उनके खातों में धनराशि दिख नहीं रही है