892 स्कूलों का होगा सर्वे, जर्जर भवनों को किया जाएगा चिह्नित



ज्ञानपुर। बारिश शुरू होने से पूर्व स्कूलों के भवन का सर्वे शुरू हो गया है। इसमें जर्जर भवन चिह्नित किए जाएंगे। खंड शिक्षा अधिकारियों के नेतृत्व में शिक्षकों की टीम लगाई गई है। गर्मी की छुट्टी में बीईओ और शिक्षक विद्यालयों का मूल्यांकन करेंगे। जुलाई में स्कूल खुलने से पूर्व रिपोर्ट सौंपी जानी है, ताकि नए भवन के लिए प्रस्ताव तैयार हो सके।



जिले में 892 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इसमें एक लाख 68 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। मिशन कायाकल्प, कंपोजिट ग्रांट की मदद से विद्यालयों का विकास हो रहा है। डेढ़ से दो दशक पूर्व बने कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं। स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने के बाद अब विद्यालयों का सर्वे शुरू हो गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर खंड शिक्षा अधिकारी के साथ एक हजार से अधिक शिक्षकों की टीम लगाई गई है, जो स्कूलों में खिड़की, भवन, दरवाजा सहित अन्य कई बिंदुओं पर जांच करेगी। पूर्व में विभाग के भेजे गए प्रस्ताव पर कुछ विद्यालयों के लिए बजट स्वीकृत हुआ, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में स्कूल और भवन जर्जर हैं, लेकिन इन्हीं में कक्षाएं चल रही हैं।


ज्ञानपुर। शिक्षा विभाग के सर्वे में 2022 में 171 विद्यालय के भवन जर्जर मिले थे। विभागीय प्रस्ताव पर 12 नए स्कूल और 60 से अधिक भवन के लिए बजट स्वीकृत हुआ था। इसके बाद निर्माण कराया गया। कई भवन बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि कई का निर्माण चल रहा है। प्रभारी डीसी निर्माण सौरभ सिंह ने बताया कि सर्वे में सामान्य मरम्मत लायक भवन को भी जर्जर दिखाया गया था। इसकी मरम्मत कर सही करा दी गई है। बताया कि अब 50 से 60 भवन ही जर्जर हैं। अनुपयोगी भवनों की नीलामी कर ध्वस्त करा दिया गया है।
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ज्ञानपुर। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के कारण साल 2005 के बाद बने भवनों की हालत अधिक खराब है। वैसे तो भवनों की उम्र कम से कम 50 साल होती है, लेकिन 20 साल से कम उम्र के भवन जर्जर होने से सवाल उठते हैं। तीन साल पूर्व ग्रामीण अभियंत्रण की तरफ से कराई गई जांच में साल 2005 के बाद के भवनों की स्थिति सबसे अधिक खराब बताई गई थी।

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स्कूलों का सर्वे चल रहा है। ग्रीष्मकालीन छुट्टी के 40 दिनों में इस कार्य को पूरा करना है। चुनाव होने से अभी सर्वे पूर्ण नहीं हो सका है। उम्मीद है कि जून में इसे पूरा कर प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। - भूपेंद्र नारायण सिंह, बीएसए।