लखनऊ। राजधानी के करीब 40 फीसदी अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की कमी है। इससे इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या सीमित होती जा रही है। आलम यह है कि कुछ विद्यालयों में 50 तो कुछ में 100 छात्र ही हैं।
राजधानी के कई ऐसे विद्यालय हैं जहां वर्षों से विषयवार शिक्षक नहीं हैं। इससे विद्यार्थी नाम कटवाकर दूसरे स्कूलों में नाम लिखवा रहे हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के मुताबिक, अनुदानित विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने पर फोकस करने के बजाय विभाग समायोजन की तैयारी कर रहा है। इससे शिक्षण कार्य व्यवस्था और खराब होगी, क्योंकि ऐसे कई विद्यालय हैं जहां छात्रों की तुलना में शिक्षकों की कमी है।
ये विद्यालय बानगी
इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज बांसमंडी में भौतिक विज्ञान, गणित, अंग्रेजी व इतिहास जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं। शिक्षकों कमी से विद्यालय में हर साल बच्चों की संख्या में कम होती जा रही है। वर्तमान में छठवीं से 12 कक्षा तक सिर्फ 50 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। ऐसे ही विश्व नारायण इंटर कॉलेज हजरतगंज में विज्ञान व अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। यहां 100 विद्यार्थियों पर सिर्फ पांच शिक्षकों की तैनाती है।
अनुदानित विद्यालयों का हो राजकीयकरण
राजधानी में 100 से अधिक अनुदानित माध्यमिक विद्यालय हैं, लेकिन ज्यादातर में विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की संख्या बढ़ाने से ही शिक्षा में सुधार होगा। समायोजन से पहले अनुदानित विद्यालयों का राजकीयकरण होना चाहिए। - सोहनलाल वर्मा, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षक संघ, एकजुट
दूर होगी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी
समायोजन से पहले विद्यालयों से छात्र और शिक्षकों का डाटा मांगा गया है। इसके आधार पर ही शिक्षकों का समायोजन होगा। जिन विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की कमी है। उसे भी दूर किया जाएगा, ताकि माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। - राकेश कुमार, डीआईओएस