औरैया। जिले के कई परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर हैं। हजारों दावों के बीच व्यवस्था इतनी बकवास है कि कक्षाआें में कहीं प्लास्टर टूटकर नीचे गिर रहा है, तो कहीं पर छतों की सरिया दिख रही है।
जर्जर दीवारों में बारिश में आई सीलन से बच्चे और शिक्षकों की जान पर बन आई है। वह कक्षाआें के अंदर नहीं जा रहे हैं, ऐसे में कई स्कूलों में पेड़ों के नीचे कक्षाएं लगाकर पढ़ाई कराई जा रही है।
कई स्कूलों के हालात यह हैं कि कई भवनों में पानी भी टपक रहा है। बावजूद इसके नौनिहाल यहां के जर्जर भवनों में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। हालांकि विभाग ने पिछले दिनों जर्जर स्कूलों के भवनों का सर्वे कराया था।
चिह्नांकन के बाद कुछ स्कूलों के बच्चे दूसरी जगह बनी नई बिल्डिंगों में स्थानांतरित भी कर दिए गए थे। जबकि कई जर्जर भवनों में आज भी कक्षाएं लग रही हैं। शिक्षक मजबूरन पेड़ों के नीचे बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करा रहे हैं।
राजस्थान में झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में चार दशक पुराने सरकारी स्कूल की इमारत की छत का एक हिस्सा ढह गया। हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई। कई घायल भी हो गए। इस हादसे ने सभी का ध्यान खींचा है। जिले में भी कई स्कूलों के भवन जर्जर हालत में है। इसके बाद भी वहां पठन-पाठन चल रहा है।
बड़े पैमाने पर कायाकल्प अभियान चलने के बाद भी कुछ स्कूलों में यह खतरा मड़रा रहा है। राजस्थान की घटना से सबक लिया जाना चाहिए। ताकि बच्चों और शिक्षकों की जान को खतरा न हो। शनिवार को पड़ताल में कई स्कूलों के भवन जर्जर मिले हैं। इन्हें मरम्मत व नये भवन निर्माण की जरूरत है। अन्यथा यहां भी पीपलोदी जैसा हादसा हो सकता है।
टपक रही छत का लिंटर उखड़ा, 133 बच्चों पर आफत
अजीतमल। ब्लॉक के गांव टढ़वा रंगिया में उच्च प्राथमिक विद्यालय (कंपोजिट) की बिल्डिंग साल 2006-07 में बनी थी। इसके कमरों के लिंटर का प्लास्टर उखड़ गया है। सरिया तक दिखाई देने लगी है। इन दिनों बारिश के चलते छत टपक रही है। जबकि इस स्कूल में 133 छात्र पंजीकृत हैं।
प्रधानाध्यापक मधुबाला ने बताया कि 2017 से करीब 10 बार लिखित रूप से बीआरसी में प्रार्थनापत्र दे चुकी हैं, लेकिन जर्जर भवन को लेकर कोई सुनवाई नहीं हुई है। बीईओ प्रवीन कुमार ने बताया कि स्थलीय निरीक्षण किया है। विद्यालय से प्राप्त प्रार्थनापत्र व फोटो सहित लिखित रूप से उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। शीघ्र ही कोई व्यवस्था की जाएगी। जर्जर भवनों की नीलामी कराई जाएगी।
नियामतपुर में जर्जर प्राथमिक विद्यालय बंद, बच्चे दूसरे स्कूल भेजे
फफूंद। क्षेत्र की ग्राम पंचायत नियामतपुर बिहारी के गांव नियामतपुर में प्राथमिक विद्यालय जर्जर स्थिति में था। प्रधान प्रीति कुमारी ने बताया कि विद्यालय में 10 बच्चे थे। स्कूल को बंद कर दिया गया है। विद्यालय के बच्चों और स्टाफ को 100 मीटर दूर बिहारी गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्थानांतरित किया गया है। खाली पड़ी बिल्डिंग को ध्वस्त करवाने के लिए विभाग को पत्र लिखा है। (संवाद)
केंद्रीय राज्यमंत्री बघेल के पैतृक गांव में गिर रही स्कूल की छत, बाउंड्रीवॉल भी टूटी
दिबियापुर। भाग्यनगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत उमरी केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का पैतृक गांव है। इसी पंचायत के मजरा बला की मड़ैया में स्थित प्राथमिक विद्यालय का निर्माण साल 2002 में हुआ था। भवन का उद्घाटन भी एसपी सिंह बघेल ने ही किया था। इस समय कुल 35 बच्चे हैं। बारिश में स्कूल की छत से सीमेंट के टुकड़े नीचे गिरते हैं।
स्कूल के प्रधानाध्यापक शिव प्रताप सिंह ने बताया कि स्कूल की बाउंड्रीवॉल टूटी है। कई बार प्रधान व सचिव को कहा गया है। विभागीय अधिकारियों को भी बता चुके हैं। छत की मरम्मत कुछ महीने पहले हुई थी। फिर भी प्लास्टर टूटकर गिर रहा है। बीईओ दाताराम ने बताया कि स्कूल की बाउंड्रीवॉल के लिए ग्राम पंचायत से इस्टीमेट बनवाया जा रहा है। छत दुरुस्त कराई जाएगी। (संवाद)
स्कूल के कमरे जर्जर
अयाना। क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय कर्के का पुर्वा में प्राथमिक विद्यालय कर्के का पुर्वा व भरतौल की मरम्मत की गई है। वर्तमान में विद्यालय में करीब 65 छात्र-छात्राएं हैं, लेकिन विद्यालय का भवन जर्जर है।
इसके चलते बच्चों को शिक्षक खुले में पढ़ाते मिले। विद्यालय की सहायक अध्यापक राकेश कुमारी ने बताया कि प्रधानाध्यापक छुट्टी पर हैं। कमरे जर्जर होने के चलते बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाया जा रहा है। बारिश आने पर बच्चों को परिसर के बरामदे में बैठाया जाता है। (संवाद)
जल्द ही स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर सर्वे कराया जाएगा। इसके बाद जरूरत के हिसाब से आगे की कवायद की जाएगी। यदि मरम्मत से काम होता है तो वह कराया जाएगा, नहीं तो नये भवन बनवाए जाएंगे। एक-एक स्कूल को कायाकल्प के तहत संवारा जाएगा।
-संजीव कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी