11 August 2025

शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और उसका समाज पर प्रभाव

 *⚖️ शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और उसका समाज पर प्रभाव*



_*📜 भाग 1: शैक्षिक अधिकार कानून की ऐतिहासक पृष्ठभूमि*_


**आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 27** भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी प्रावधान है, जिसे "बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम" के नाम से जाना जाता है। इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है: **"शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में नियुक्त नहीं किया जाएगा"**। इसके साथ ही **2011 के नियमों के नियम 21(3)** में केवल तीन अपवाद बताए गए हैं:

- दस वर्ष में एक बार होने वाली **जनगणना** 📊

- **आपदा राहत** कार्य

- **सामान्य निर्वाचन** (लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनाव)


यह कानून शिक्षकों की भूमिका को पुनर्परिभाषित करता है और उन्हें **"पूर्णकालिक शिक्षण कार्य"** के लिए समर्पित करने की बात करता है। अधिनियम के अनुसार, शिक्षकों से शिक्षण कार्य के बाद भी दूसरा कोई कार्य लेना गलत है क्योंकि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे **अगले दिन की कक्षा की तैयारी** करें और **अपना ज्ञानवर्धन** करें ।


_*⚖️ भाग 2: इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले*_


_*📌 केस 1: सुनीता शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (जुलाई 2021)*_

इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने **न्यायमूर्ति विवेक चौधरी** के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह **सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों** को आदेश जारी करे कि शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य न लिए जाएं। कोर्ट ने विशेष रूप से निम्न कार्यों पर प्रतिबंध लगाया:

- मिड-डे मील बंटवाना

- भवन निर्माण/रंगाई-पुताई

- स्कूल खातों का संचालन

- आधार कार्ड बनवाने में मदद 


📌 _*केस 2: संयमी शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (दिसंबर 2024)*_

सहारनपुर की शिक्षिका **संयमी शर्मा** को रामपुर के एसडीएम ने **चुनाव ड्यूटी** में लगाया और बाद में उनका वेतन रोक दिया। **न्यायमूर्ति अजय भनोट** ने इस पर ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा: **"शिक्षकों का कार्य सिर्फ छात्रों को पढ़ाना है"**। कोर्ट ने न केवल शिक्षिका का वेतन बहाल किया बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव ड्यूटी के नाम पर शिक्षिका को परेशान न किया जाए ।


 📌 _*केस 3: चारु गौर एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (जुलाई 2021)*_

इस मामले में तीन प्राथमिक शिक्षकों ने याचिका दायर की कि उन्हें **बूथ लेवल ऑफिसर** (बीएलओ) के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह **धारा 27 का कड़ाई से पालन** सुनिश्चित करे और सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी करे ।


📊 _*तालिका: शिक्षकों से लिए जाने वाले प्रमुख गैर-शैक्षणिक कार्य*_

| **कार्य का प्रकार** | **उदाहरण** | **कोर्ट का निर्णय** |

|---------------------|------------|----------------------|

| **प्रशासनिक कार्य** | बूथ लेवल ऑफिसर, चुनाव ड्यूटी | केवल सामान्य निर्वाचन के दौरान अनुमति  |

| **स्कूल रखरखाव** | भवन निर्माण, रंगाई-पुताई, सफाई | पूर्ण प्रतिबंध  |

| **सामाजिक कल्याण** | आधार कार्ड निर्माण, मिड-डे मील वितरण | पूर्ण प्रतिबंध  |

| **वित्तीय कार्य** | स्कूल खातों का संचालन | पूर्ण प्रतिबंध  |


🏫 _*भाग 3: न्यायिक फैसलों का व्यावहारिक प्रभाव*_


 📚 _*शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार*_

कोर्ट के फैसलों के बाद उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में **छात्र-शिक्षक अनुपात** में सुधार देखा गया है। शिक्षक अब **80% अधिक समय** कक्षा शिक्षण में दे पा रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है ।


👩🏫 _*शिक्षकों का मनोबल बढ़ना*_

शिक्षक संघों ने इन फैसलों का **अभूतपूर्व स्वागत** किया है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष का कहना है: **"यह फैसला 6 लाख शिक्षकों के लिए मुक्ति का अवसर है"**। शिक्षक अब कानूनी रूप से सशक्त महसूस कर रहे हैं और स्वेच्छा से गैर-शैक्षणिक कार्यों से इनकार कर पा रहे हैं ।


⚖️ _*प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव*_

जिला प्रशासन अब शिक्षकों की जगह **आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पटवारियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों** को चुनाव ड्यूटी में लगा रहा है। प्रत्येक जिले में **बेसिक शिक्षा अधिकारी** को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों से केवल वही कार्य लिए जाएँ जो आरटीई अधिनियम की धारा 27 में अनुमति प्राप्त हैं ।


 🚧 _*भाग 4: क्रियान्वयन में चुनौतियाँ*_


 🔄 _*प्रशासनिक प्रतिरोध*_

कई जिलों में अधिकारी अभी भी **पुरानी मानसिकता** से काम कर रहे हैं। सहारनपुर की घटना इसका ज्वलंत उदाहरण है, जहाँ एसडीएम ने चुनाव ड्यूटी से मना करने पर एक शिक्षिका का **वेतन रोक दिया**। हालाँकि कोर्ट ने तुरंत हस्तक्षेप किया, लेकिन यह प्रवृत्ति चिंताजनक है ।


📉 _*संसाधनों की कमी*_

ग्रामीण क्षेत्रों में **पटवारियों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कमी** के कारण प्रशासन मजबूरी में शिक्षकों पर निर्भर होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के **35% ब्लॉकों** में अभी भी चुनाव कार्यों के लिए पर्याप्त गैर-शैक्षणिक कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं ।


📚 _*शिक्षकों की भूमिका का द्वंद्व*_

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि **जनगणना और आपदा राहत** जैसे राष्ट्रीय कार्यों में शिक्षकों की भागीदारी आवश्यक है क्योंकि वे **साक्षर और विश्वसनीय** होते हैं। हालाँकि कोर्ट ने इस पर स्पष्टता दी है कि ऐसे कार्यों की अवधि **सीमित और असाधारण** होनी चाहिए ।


📈 _*तालिका: इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रमुख निर्णयों की समयरेखा*_

| **वर्ष** | **मामला** | **मुख्य निर्देश** |

|----------|-----------|-------------------|

| **2021** | सुनीता शर्मा बनाम यूपी राज्य | गैर-शैक्षणिक कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध  |

| **2021** | चारु गौर बनाम यूपी राज्य | बीएलओ ड्यूटी पर रोक  |

| **2024** | संयमी शर्मा बनाम यूपी राज्य | चुनाव ड्यूटी से इनकार करने पर वेतन रोकना अवैध  |

| **2025** | सुर्या प्रताप सिंह बनाम यूपी राज्य | शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी केवल अंतिम विकल्प  |


🌟 _*भाग 5: सामाजिक-शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य*_


👧 _*बाल अधिकारों की सुरक्षा*_

कोर्ट ने बार-बार जोर दिया है कि **"बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है"**। जब शिक्षक गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझे रहते हैं, तो **छात्रों का शैक्षणिक नुकसान** होता है, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। एक अध्ययन के अनुसार, चुनाव ड्यूटी के दौरान **सरकारी स्कूलों में छात्र उपस्थिति 40% तक कम** हो जाती है ।


 📝 _*शैक्षिक नवाचारों का अवसर*_

शिक्षकों को मिली इस नई मुक्ति ने उन्हें **डिजिटल शिक्षण, क्रिएटिव पेडागॉजी** और **व्यक्तिगत छात्र ध्यान** देने का अवसर दिया है। उत्तर प्रदेश के **बाराबंकी जिले** के एक स्कूल ने इसका लाभ उठाते हुए अपने **कक्षा 10 के परिणाम 95% तक** सुधारे हैं ।


🌐 _*राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव*_

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इन फैसलों ने अन्य राज्यों के लिए **मिसाल कायम** की है। दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार में शिक्षक संघ अब इसी तर्ज पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में **50 प्राथमिक शिक्षकों** ने जुलाई 2025 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव ड्यूटी को केवल **स्कूल छुट्टियों** तक सीमित करने की मांग की है ।


💡 _*निष्कर्ष: भविष्य की राह*_


इलाहाबाद हाईकोर्ट के ये फैसले भारतीय शिक्षा व्यवस्था में **मौलिक परिवर्तन** के अग्रदूत हैं। इन निर्णयों ने **तीन महत्वपूर्ण स्तंभों** को मजबूत किया है:

1. **शिक्षकों का सम्मान** - उनकी विशेषज्ञता को उचित स्थान

2. **छात्रों के अधिकार** - निर्बाध शिक्षा की गारंटी

3. **कानून का शासन** - आरटीई अधिनियम का वास्तविक क्रियान्वयन


हालाँकि अभी भी **प्रशासनिक इच्छाशक्ति** और **संसाधनों की उपलब्धता** जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका ने एक **सकारात्मक दिशा** निर्धारित की है। जैसा कि न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा: **"शिक्षकों का पवित्र दायित्व है बच्चों का भविष्य गढ़ना, उन्हें इससे विचलित नहीं किया जाना चाहिए"** ।


शिक्षा ही राष्ट्र निर्माण का आधार है, और शिक्षक उस आधार के वास्तुकार। इन फैसलों ने देश भर के लाखों शिक्षकों को **नई ऊर्जा और उत्साह** से भर दिया है, जिसका सीधा लाभ भारत के भविष्य - हमारे बच्चों - को मिलेगा। 🌈📘