02 October 2025

देश में 57 केंद्रीय विद्यालय खुलेंगे

 केंद्र सरकार ने बुधवार को 57 नए केंद्रीय विद्यालय (केवी) खोलने को मंजूरी दे दी। इन विद्यालयों में से सात केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा और शेष राज्य सरकारों द्वारा प्रायोजित किए जाएंगे।



नव स्वीकृत 20 केंद्रीय विद्यालयों को ऐसे जिलों में खोलने का प्रस्ताव है, जहां केंद्रीय कर्मचारियों की महत्वपूर्ण संख्या के बावजूद वर्तमान में कोई केंद्रीय विद्यालय नहीं है। इनकी स्थापना से 86 हजार से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।


इन नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना में 2026-27 से नौ वर्षों की अवधि में कुल 5862.55 करोड़ रुपये की धनराशि की खर्च होगी। इसमें 2585 करोड़ का पूंजीगत व्यय घटक और 3277 करोड़ रुपये का परिचालन व्यय शामिल है।


नए प्रस्ताव वंचित व रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंचने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।


जैव-चिकित्सा अनुसंधान कैरियर कार्यक्रम मंजूर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जैव-चिकित्सा अनुसंधान कैरियर कार्यक्रम (बीआरसीपी) के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य 2,000 से अधिक विद्यार्थियों और पोस्ट-डॉक्टरल फेलो को प्रशिक्षित करना, उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान को बढ़ावा देना और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में मदद करना है। इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग और वेलकम ट्रस्ट, ब्रिटेन द्वारा ‘इंडिया अलायंस’ के माध्यम से 2025-26 से शुरू कर अगले छह वर्षों में 1,500 करोड़ की लागत से लागू किया जाएगा। ‘पोस्ट-डॉक्टरल फेलो’ वह व्यक्ति होता है जो पीएचडी पूरी करने के बाद अनुसंधान जारी रखता है, जिससे उसे अपने शोध क्षेत्र में पेशेवर कौशल विकसित करने और कैरियर को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।


वंदे मातरम के 150 वर्ष पर जश्न मनेगा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने का देश भर में जश्न मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े कई आयोजनों को मंजूरी दी गई।


वैष्णव ने बताया कि इस साल राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। सरकार ने इसे उत्सव की तरह मनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद छात्रों, विशेशकर युवाओं को इतिहास के साथ जोड़ने के लिए इस गीत की मूल भावना को जन जन तक पहुंचाना है।