नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण की घोषणा कर दी। 28 अक्तूबर से एसआईआर प्रक्रिया की कवायद शुरू होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में एसआई्रआर के पहले चरण के अनुभव से सीखते हुए इस बार तय किया कि बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) फॉर्म के मिलान और लिंकिंग के लिए लोगों के घरों में जाएंगे। उनके मुताबिक, अगर मतदाता उपलब्ध नहीं है या मिलान और लिंकिंग में देरी होती है, तो बीएलओ तीन बार घरों में जाएंगे। यदि उनके नाम या उनके पिता या माता के नाम 2003 की लिस्ट में नहीं थे, तो मतदाता पंजीकरण अधिकारी/सहायक इंडिकेटिव डॉक्यूमेंट्स के आधार पर पात्रता तय करेगा। आयोग के मुताबिक, मतदाता ऑनलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं।
आधार को किया शामिल: एसआईआर के दूसरे चरण के लिए निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 9 सितंबर को जारी अपने आदेश के तहत आधार को भी 12 सांकेतिक दस्तावेजों की सूची में शामिल किया है। आधार पर स्थिति स्पष्ट करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जहां तक आधार कार्ड का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार का इस्तेमाल आधार अधिनियम के अनुसार किया जाना है। उन्होंने बताया कि आधार अधिनियम की धारा 9 कहती है कि आधार आवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में कई फैसले दिए हैं कि आधार जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए आधार प्राधिकरण ने अधिसूचना जारी की।
पांच लाख से अधिक बीएलओ
करीब चार महीने तक चलने वाले एसआईआर कार्यक्रम में 5.33 लाख बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ), 7.64 लाख राजनीतिक दलों के बूथ एजेंट (बीएलए), 10 हजार से अधिक मतदाता पंजीकरण अधिकारी/सहायक ( ईआरओ/एईआरओ) और 321 जिला चुनाव अधिकारी ( डीईओ ) शामिल होंगे।
मतदाताओं के पहचान की होगी जांच
आयोग के मुताबिक, एसआईआर वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वर्तमान सूचियों का सत्यापन होगा, जिसमें करीब 51 करोड़ मतदाताओं के पहचान की गहन जांच होगी। इसमें सर्वाधिक उत्तर प्रदेश के 15.44 करोड़ मतदाता हैं, जबकि दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल में 7.66 करोड़ मतदाता हैं।
अंतिम एसआईआर कटऑफ तिथि
राज्यों में अंतिम एसआईआर उसी तरह से 'कट-ऑफ' तिथि के रूप में काम करेगी जैसे बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण के लिए किया था।
दलों के साथ बैठक करेंगे अधिकारी: भारत के निर्वाचन आयोग ने कहा कि राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी राजनीतिक पार्टियों के साथ बैठक करेंगे और उन्हें एसआईआर की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट 50 साइन किए हुए गणना प्रपत्र इकट्ठा कर सकते हैं और बूथ लेवल अधिकारी के पास जमा कर सकते हैं। आयोग ने कहा है कि भीड़भाड़ से बचने के लिए यह निर्णय किया है कि किसी भी मतदान केंद्रों पर 1,200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे और ऊंची इमारतों, गेटेड कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में नए पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। ईआरओ के फैसले के बाद, यानी फाइनल सूची प्रकाशित होने के बाद भी, किसी भी वोटर या किसी भी विधानसभा का का कोई भी निवासी जिलाधिकारी के पास अपील कर सकता है और 15 दिनों के अंदर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपनी दूसरी अपील भी फाइल कर सकता है।
चुनावी राज्य असम में अभी एसआईआर नहीं :असम में अगले साल यानी 2026 में विधानसभा का चुनाव होना है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने फिलहाल वहां एसआईआर कराने की घोषणा नहीं की है। एसआईआर के दूसरे चरण में असम को शामिल नहीं किए जाने के बारे में सफाई देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारतीय नागरिकता कानून में असम के लिए अलग प्रावधान हैं।
पश्चिम बंगाल में 200 से अधिक अफसर बदले
कोलकाता, एजेंसी। पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में की निर्वाचन आयोग द्वारा घोषणा से कुछ घंटे पहले राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में 200 से अधिक नौकरशाहों व अधिकारियों का बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की अधिसूचना जारी की।
इसमें पश्चिम बंगाल सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 61 आईएएस और पश्चिम बंगाल लोक सेवा के 145 अधिकारियों का तबादला किया गया। यह हालिया समय में एक बार में हुए सबसे बड़े तबादलों में से एक है। राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कदम ममता बनर्जी प्रशासन द्वारा प्रक्रिया को विफल करने का एक प्रयास है।

