20 November 2025

संपत्ति में अधिकार सृजित नहीं करता एग्रीमेंट टू सेल: एग्रीमेंट करने वाला संपत्ति बंटवारे के मुकदमे में आवश्यक या उचित पक्षकार नहीं हो सकता

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि केवल बिक्री का समझौता (एग्रीमेंट टू सेल) सम्पत्ति पर कोई हक सृजित नहीं करता। एग्रीमेंट करने वाला व्यक्ति संपत्ति बंटवारे के मुकदमे में आवश्यक या उचित पक्षकार नहीं हो सकता। बिक्री समझौता सिर्फ कानूनी पंजीकृत दस्तावेज है। इससे संपत्ति में कोई हक या दावा उत्पन्न नहीं होता।



यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने बिक्री समझौता करने वाले को जमीन के बंटवारे के मुकदमे में पक्षकार बनाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने दीपेंद्र चौहान की पुनरीक्षण अर्जी पर दिया है। गौतमबुद्ध नगर निवासी याची ने अपनी मां फूल कुमारी व परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ सेक्टर-39 स्थित एक संपत्ति में अपने हिस्से के बंटवारे और उसे बेचने से रोकने का मुकदमा किया था। मुकदमे के दौरान मां फूल कुमारी ने दो लोगों के पक्ष में संपत्ति का बिक्री समझौता कर दिया। दोनों ने स्वयं को मुकदमे में शामिल करने की अर्जी दी।


जिसे सिविल जज ने स्वीकार कर लिया। इस आदेश के खिलाफ दीपेंद्र चौहान ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण अर्जी की।


यह सिर्फ अनुबंध:कोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 54 के मुताबिक किसी अचल संपत्ति के बिक्री के समझौते से उस संपत्ति में खरीदार का कोई हक या दावा पैदा नहीं होता। यह सिर्फ ऐसा अनुबंध है, जिसके आधार पर खरीदार बिक्री विलेख कराने के लिए मुकदमा कर सकता है। समझौता बिक्री करने वालों का संपत्ति पर कोई कानूनी हक नहीं बनता इसलिए वे बंटवारे के मुकदमे के आवश्यक या उचित पक्षकार नहीं हो सकते।