प्रयागराज : बहरिया विकास खंड के कंपोजिट विद्यालय सरायमदन में 13 अप्रैल को सहायक अध्यापिका कृष्णा यादव के पर्स से एक हजार रुपये गायब हो गए। विद्यार्थियों से पूछने के बाद भी जब रुपये नहीं मिले तो गुस्से में उन्होंने बच्चों को कमरे में बंद करके पीटा। अभिभावकों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने बीएसए से शिकायत की। अमानवीय व्यवहार के लिए शीघ्र ही शिक्षिका पर कार्यवाही होगी। मामले की जांच कर रहे खंड शिक्षाधिकारी बहरिया धर्मेंद्र कुमार मौर्य की रिपोर्ट में आरोपित शिक्षिका को दोषी पाया गया है। ग्रामीणों से पूछताछ में पता चला कि शिक्षिका विद्यालय विलंब से आती हैं।
अभिभावकों व विद्यालय के स्टाफ के साथ कार्य व्यवहार भी उचित नहीं है। कार्य व दायित्व के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। जांच के दौरान उत्तेजनापूर्ण व अशोभनीय बातें भी कहीं। उनके विद्यालय में कार्यरत रहने की दशा में कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है। इस मामले में ग्रामीणों ने भी विभागीय कार्यवाही के लिए मांग की है। बीएसए को भेजी रिपोर्ट में खंड शिक्षाधिकारी ने बताया है कि वह कंपोजिट विद्यालय में स्थलीय निरीक्षण के लिए सोमवार को गए थे। ग्राम प्रधान व अभिभावकों से पूछताछ की तो अभिभावक राम कली ने बताया कि शिक्षिका कृष्णा द्वारा एक ही कमरे में सभी बच्चों को 11.30 बजे से 12.00 बजे तक बंदकर हाथ व डंडे से पीटा गया। अभिभावक राम अधार ने कहा कि उनकी पौत्री को घर पर जाकर पीटा गया। इसी तरह शकील अहमद, अभयराज सिंह, राजेश ने भी बच्चों को पीटने की बात कही। अभिभावक अनुपम ने शिक्षिका पर बच्चे को गाड़ी में जबरन बैठाने के प्रयास का भी आरोप लगाया। अभिभावक राम लली ने कहा कि पीटने के साथ बच्चे का गला भी दबाया गया। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि खंड शिक्षाधिकारी बहरिया की रिपोर्ट में शिक्षिका पर आरोप साबित हो रहे हैं। आरटीई के तहत किसी भी विद्यार्थी को शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता। दोषी सहायक अध्यापक पर विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मेरे रुपये चोरी नहीं हुए और न ही मैंने किसी बच्चे की पिटाई की है। उल्टे गांव के कुछ लोगों ने मेरे ऊपर जानलेवा हमला किया था। इस मामले की रिपोर्ट भी मैंने दर्ज कराई है। मेरे ऊपर हुए हमले की जानकारी भी मैंने एबीएसए को फोन पर दी थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अब गांव के लोग मेरे ऊपर झूठे आरोप लगा रहे हैं। मुझ पर हमला क्यों हुआ, यह भी मुझे समझ में नहीं आ रहा। - कृष्णा यादव, शिक्षिका