इस बेसिक के स्कूल सामने कान्वेंट जाएंगे भूल

Hardoi, कछौना। एक ऐसा विद्यालय जिसकी हर दीवार कुछ सिखाती है, जिसका मैदान खेलने के लिए आकर्षित करता है, जिसकी लाइब्रेरी में बिना किताब खोले ही बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है।


जहां शिक्षक सिर्फ बच्चों को समझाने की बजाय उनको समझने पर भी जोर देते हैं...। बिल्कुल ऐसा ही है कछौना ब्लाक का समसपुर प्राथमिक विद्यालय है। जी हां, सरकारी विद्यालय। जब यहां आप आएंगे तो कान्वेंट स्कूलों की भव्यता भी भूल जाएंगे।

परिषदीय विद्यालयों की तस्वीर बदलने की मुहिम की शुरुआत समसपुर से हो चुकी है। यहां प्राथमिक विद्यालय को आधुनिक विद्यालयों का माडल कहा जा सकता है। यहां के 390 छात्र अनूठे शिक्षण माहौल का अनुभव करते हैं।
पांच शिक्षक और दो शिक्षामित्र बच्चों को शिक्षा व्यवस्था को रुचिकर बनाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। तकनीक और नीति का प्रयोग विद्यालय में भरपूर देेखने को मिलता है। प्रोजेक्टर के माध्यम से स्कूल में पढ़ाई कराई जा रही है।
लाइब्रेरी को ऐसे सजाया गया है कि किताब खोले बिना भी लाइब्रेरी में बहुत कुछ सीखने वाला है। शारीरिक विकास के लिए खेल मैदान तैयार किया गया है। मैदान की सजावट छोटे बच्चों को खेलने के लिए आकर्षित करती है।
फुटबॉल, वालीबॉल और क्रिकेट का खेल स्कूल में अक्सर होता है। बौद्घिक विकास के लिए शतरंज का विकल्प रखा गया है। इसके अलावा लूडो और कैरम जैसे खेल बच्चों में मैत्री पैदा कर रहे हैं।
स्कूल का स्वच्छ शौचालय बना नजीर
समसापुर प्राथमिक विद्यालय का शौचालय अन्य स्कूलों के लिए स्वच्छता के मामले में नजीर बन गया है। अंदर से बाहर तक साफ-सफाई और रंग-रोगन किया गया है। आम तौर पर सरकारी स्कूलों में इस तरह के साफ-सुथरे और रंग-बिरंगे शौचालय देखने को नहीं मिलते।
बच्चों को पसंद है स्कूल का वातावरण
गर्मी से बच्चों को बचाने के लिए विद्यालय में हवा की अच्छी व्यवस्था की गई है। विद्यालय में इनवर्टर का विकल्प भी मौजूद है। ताकि बिजली जाने से बच्चों को पसीना न बहाना पड़े। इसके अलावा पानी की व्यवस्था भी स्कूल में साफ-सुथरी है। एक टंकी में सात टोंटियां लगाई गई हैं। टंकी के टाइल्स दमकते हैं।
मिला सहयोग, इसलिए हो सका कायाकल्प
स्कूल को अनूठा बनाने के लिए समसपुर ग्राम प्रधान व ग्रामीणों ने मदद की है। पूर्व प्रधान के पति मोहम्मद अमजद और वर्तमान प्रधान मटरू ने इस विद्यालय को सुंदर बनाने के लिए आर्थिक सहयोग भी किया है। ग्रामीणों ने भी अपना योगदान देकर स्कूल को संवारा है।