सरकार योग्य अधिवक्ताओं का पैनल बनाए, मुख्य सचिव को निर्देश

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को योग्य अधिवक्ताओं का पैनल बनाने का निर्देश दिया है ताकि प्राधिकरणों, निगमों को आउटसोर्सिंग से वकील न रखना पड़े। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने ईशान इंटरनेशनल एजुकेशनल सोसायटी के निदेशक की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में बेहतरी के लिए ड्राफ्ट तैयार कर उचित कार्रवाई के लिए कैबिनेट में पेश करें। पीठ ने कहा कि कुछ अपर महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता सरकार के साथ-साथ प्राधिकरणों निगमों की तरफ से बहस कर दोनों से फीस ले रहे हैं। महत्वपूर्ण मामलों में सरकार की तरफ से कोई नहीं खड़ा होता। एक वकील दोहरी फीस कैसे ले सकता है? आखिर पैसा टैक्स पेयर का ही खर्च होता है। यह कदाचार है। दर्जन अपर महाधिवक्ता, डेढ़ दर्जन मुख्य स्थायी अधिवक्ता के अलावा अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता, स्थायी अधिवक्ताओं, अपर शासकीय अधिवक्ताओं का राज्य विधि अधिकारियों का पैनल है परंतु आउटसोर्सिंग से अधिवक्ता रखने पड़ रहे हैं। न्यायालय ने मुख्य सचिव से कहा कि वह कैबिनेट के संज्ञान में लाएं कि एक दर्जन अपर महाधिवक्ता व डेढ़ दर्जन मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं की जरूरत ही क्या है? जब बड़ी संख्या में सरकार का बचाव करने के लिए राज्य विधि अधिकारियों की भारी टीम मौजूद हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को दो माह में महानिबंधक को प्रगति रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही आदेश का अनुपालन किए जाने के कारण अवमानना याचिका अर्थहीन मानते हुए खारिज कर दी है।




मुख्य सचिव को निर्देश- ‘कैबिनेट को बताएं एक दर्जन एएजी व सीएससी की क्या जरूरत’

यह था मामला याचिका प्रमुख सचिव मुकुल सिंहल व गाजियाबाद विकास प्राधिकरण सहित कई अधिकारियों के खिलाफ दाखिल की गई थी। कोर्ट ने बाजार दर से भूमि अधिग्रहण मुआवजे का अवार्ड घोषित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमेबाजी से आदेश पालन में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जानबूझकर कर अवमानना का केस नहीं मिला। पीठ ने विशेष सचिव द्वारा दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को विधिक अधिकार न होने के बावजूद अवमानना केस की नोटिस लेने का अधिकार देने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि विशेष सचिव ने 21 फरवरी, 2022 को पत्र से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व कुलदीप पति त्रिपाठी क्रमश: प्रयागराज व लखनऊ को अवमानना मामले की नोटिस लेने के लिए अधिकृत किया और राज्य विधि अधिकारियों से सहयोग लेने की छूट दी।