करोड़ों खर्च के बावजूद रोशनी को तरस रहे हैं सरकारी स्कूल


लोकसभा चुनाव के दौरान 1116 परिषदीय विद्यालयों में लगभग ढाई करोड़ विद्युतीकरण पर खर्च हुआ था बजट, मानकों की अनदेखी कर कार्यदाई संस्था फरार हो गई

बलरामपुर, परिषदीय विद्यालयों में करोड़ों खर्च के बावजूद तमाम स्कूलों के बच्चों को ट्यूबलाइट की रोशनी नसीब नहीं हो सकी है। लोकसभा चुनाव के दौरान 1116 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में वायरिंग एवं विद्युतीकरण के नाम पर दो करोड़ 48 लाख 66 हजार रुपए खर्च होने के बावजूद कई स्कूलों में बच्चे पंखे की हवा व बिजली की रोशनी से वंचित हैं।

जिले में 1576 प्राथमिक 646 उच्च प्राथमिक के साथ कम्पोजिट स्कूल संचालित हैं। इनमें लोकसभा चुनाव के दौरान 1116 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में वायरिंग एवं उपकरण के नाम पर बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों को लगभग ढाई करोड़ रुपए निर्गत किए थे। लेकिन विद्युतीकरण में मानकों की अनदेखी कर कार्यदाई संस्था फरार हो गई। जिम्मेदारों ने सुविधा शुल्क लेकर सब कुछ ऑल इज वेल दिखाकर बजट का भुगतान कर दिया। विद्युतीकरण के मानक की जांच भी आज तक न होने की चर्चा है। वर्ष 2017-18 में 290 जूनियर हाई स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए बिजली विभाग को 20 लाख 16 हजार 950 रुपए निर्गत किए गए थे। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के खातों में वायरिंग उपकरण एवं एनर्जी चार्ज के लिए भेजे गए 85लाख 22 हजार 520 रुपए कहां खर्च हुए इसका लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है। तमाम परिषदीय स्कूल आज भी बिजली की रोशनी से वंचित हैं। भीषण गर्मी में बच्चों को पंखे की हवा एवं ट्यूब लाइट की रोशनी नसीब नहीं हो पा रही है। ऐसे में विद्युतीकरण की समस्या पूरे गर्मी भर बच्चों को सताती है। अब सवाल यह उठता है कि यदि पुराने निर्गत बजट की जांच कराई जाए तो व्यापक पैमाने पर अनियमितता एवं भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है ।

लाखों रुपए के लेखा-जोखा में गोलमाल जानकारों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग में वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिले के 290 जूनियर हाई स्कूलों में 85 लाख 22 हजार 520 रुपए शासन से मिला था। इसमें प्रति विद्यालय वायरिंग के लिए 17688, ट्यूब लाइट पंखा के लिए 7500 एवं एनर्जी चार्ज के लिए 4200 रुपए खर्च होने थे। यह बजट खर्च होने के बावजूद स्कूलों में समुचित रोशनी एवं पंखे व ट्यूबलाइट तक नसीब नहीं है।

ऐसे में चर्चा यह है कि पचासी लाख का निर्गत बजट की निष्पक्ष जांच होने से व्यापक पैमाने पर अनियमितता उजागर हो सकती है ।

विद्यालयों को विद्युतीकरण मद में जारी हुआ था बजट

शासन से बेसिक शिक्षा विभाग के 533 प्राथमिक एवं जूनियर हाई स्कूल में दो किस्तों में वर्ष 2019 में विद्युतीकरण के लिए बजट जारी हुआ था। यह बजट एक करोड़ 26 लाख 25 हजार 704 रुपए विभाग में निर्गत किया था। प्रति विद्यालय 17688 रुपए वायरिंग छह हजार रुपए पंखे एवं ट्यूबलाइट के लिए दिए गए थे। बेसिक शिक्षा महकमा से 574 प्राथमिक विद्यालयों में 15 हजार रुपए वायरिंग एवं छह हजार रुपए उपकरण की दर से एक करोड़ 20 लाख 54 हजार एवं नौ जूनियर हाई स्कूलों में एक लाख 89 हजार रुपए निर्गत किए थे।

लाखों रुपए के लेखा-जोखा में गोलमाल

जानकारों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग में वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिले के 290 जूनियर हाई स्कूलों में 85 लाख 22 हजार 520 रुपए शासन से मिला था। इसमें प्रति विद्यालय वायरिंग के लिए 17688, ट्यूब लाइट पंखा के लिए 7500 एवं एनर्जी चार्ज के लिए 4200 रुपए खर्च होने थे। यह बजट खर्च होने के बावजूद स्कूलों में समुचित रोशनी एवं पंखे व ट्यूबलाइट तक नसीब नहीं है। ऐसे में चर्चा यह है कि पचासी लाख का निर्गत बजट की निष्पक्ष जांच होने से व्यापक पैमाने पर अनियमितता उजागर हो सकती है ।

स्कूलों में लगाए लाखों के बिजली उपकरण निष्प्रयोज्य

शिक्षा क्षेत्र तुलसीपुर के कमपोजिट विद्यालय रामपुर बनरहा, कमपोजिट विद्यालय मुड़ाडीह, प्राथमिक विद्यालय लहरी, प्राथमिक विद्यालय बड़का बिलासपुर, उच्च प्राथमिक विद्यालय लालबोझी आदि विद्यालयों में वायरिंग तो सालों पहले हो गए लेकिन विद्युत पोल से कनेक्शन न होने से बच्चों को बिजली की रोशनी नसीब नहीं हो सकी है। स्कूल में लगाए गए वायरिंग के उपकरण भी प्रयोग में न होने से अधिकांश खराब हो गए हैं। कई स्कूलों में वायरिंग तो दो साल पूर्व हो गई है लेकिन ये स्कूल आज भी बिजली की रोशनी से महरूम हैं।


शासन से निर्गत बजट के अनुरूप परिषदीय स्कूलों में विद्युतीकरण कराया गया है। स्कूलों में विद्युतीकरण के दौरान लगाए उपकरण व वायरिंग के मानक की जांच कराई जाएगी। विभाग का पूरा प्रयास है कि बच्चों को शासन से निर्गत सभी संसाधन हर हाल में मुहैया हों।

-कल्पना देवी, बीएसए बलरामपुर

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