शिक्षा में दमदारी से आगे बढ़ रहीं बेटियां



प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के लिए पंजीकृत छात्रों की संख्या पर नजर दौड़ाने से साफ हो जाता कि बेटियों की संख्या साल-दर-साल बढ़ती जा रही है, चूंकि यूपी बोर्ड से अधिकतर ग्रामीण परिवेश के स्कूल संबद्ध हैं इसलिए बेटियों की बढ़ती संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बालिका शिक्षा के प्रति बढ़ते रुझान की ओर भी इशारा कर रही है। 2023 की हाईस्कूल परीक्षा के लिए 3116485 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें से 1418462 (45.51 ) छात्राएं हैं। यह संख्या पिछले पांच वर्षों में हाईस्कूल के लिए पंजीकरण कराने वाली छात्राओं में सबसे अधिक है। वर्तमान शैक्षिक सत्र (2022-23) में भी छात्राओं की संख्या बढ़ी है। यूपी बोर्ड से जुड़े तकरीबन 28 हजार स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक एक करोड़ 11 लाख, छह हजार 141 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। जिनमें बालिकाओं की संख्या 5093635 (45.86 ) है।

पांच सालों में छात्राओं की संख्या

वर्ष- कुल परीक्षार्थी- छात्राएं- छात्राओं का प्रतिशत

2023 3116485 1418462 45.51

2022 2781465 1228979 44.18

2021 2996031 1319115 44.02

2020 3024480 1361888 45.02

2019 3192587 1437809 45.03


तीन दशक में दोगुना से अधिक हुई छात्राओं की संख्या

समाज में बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ मां-पिता उन्हें पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने लगे हैं। तीन दशक पहले तक हाईस्कूल में जहां छात्राओं की संख्या एक चौथाई भी नहीं थी वहीं अब 45 फीसदी से अधिक बेटियां हो गई हैं। छात्राओं का पंजीकरण तीन दशक में दोगुना से अधिक हुआ है। 1993 की हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत 1639933 परीक्षार्थियों में से महज 363574 (22.17) छात्राएं थी। दस साल बाद 2003 में 10वीं के लिए फॉर्म भरने वाले कुल 2370770 परीक्षार्थियों में से 725467 (30.60) छात्राएं थीं। बीस साल बाद 2013 में 3804580 में से 1648788 (43.33) छात्राओं का पंजीकरण हुआ था। अब 2023 की 10वीं की परीक्षा के लिए 45.51 प्रतिशत छात्राएं पंजीकृत हैं।


शिक्षा के क्षेत्र में छात्राओं की संख्या बढ़ना पूरे समाज के लिए अच्छा संकेत हैं। सरकार और बोर्ड की पहल के कारण भी अभिभावक बेटियों को स्कूल भेजने में रुचि लेने लगे हैं।

नीना श्रीवास्तव, पूर्व सचिव यूपी बोर्ड