नौकरीपेशा लोगों को आयकर में राहत संभव: विशेषज्ञों का अनुमान, रोजगार बढ़ाने वाले क्षेत्र पर भी सरकार का होगा जोर

 सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर कुछ राहत दे सकती है।


इसके अलावा, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का दायरा बढ़ाए जाने की भी संभावना है। जाने-माने अर्थशास्त्रत्त्ी और शोध संस्थान सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन सुदिप्तो मंडल ने यह संभावना जताई है।

बजट में कुछ राहत मिलने की उम्मीद पर मंडल ने कहा कि वास्तव में नौकरीपेशा लोगों का बड़ा हिस्सा आयकर नहीं देता। केवल उच्च मध्यम वर्ग और धनाढ़्य लोगों का छोटा तबका ही आयकर देता है। इसलिए व्यक्तिगत आयकर के प्रावधानों में किसी भी बदलाव का एक बड़े तबके पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, वैश्विक मानकों के अनुसार हमारी व्यक्तिगत आयकर दरें बहुत अधिक नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि, बहुत हद तक संभव है कि वित्त मंत्री छूट सीमा (कर स्लैब और निवेश सीमा) या मानक कटौती को बढ़ाकर कुछ राहत देने की घोषणा करेंगी। उन्होंने कहा कि करदाताओं के दृष्टिकोण से प्रत्यक्ष कर संहिता के जरिये आयकर प्रावधानों को सरल बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।

आवास ऋण पर छूट सीमा बढ़ने की उम्मीद मंडल ने कहा कि रियल्टी क्षेत्र अभी लंबी अवधि के बाद पटरी पर आना शुरू हुआ है। साथ ही यह रोजगार बढ़ाने वाला क्षेत्र है। ऐसे में अगर आवास ऋण को लेकर ब्याज भुगतान पर छूट की सीमा बढ़ायी जाती है, तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा। केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि सरकार को पीएमएवाई क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के जरिए बढ़ी हुई फंडिंग के जरिए सस्ते आवास को बढ़ावा देना जारी रखना चाहिए।

बीमा में ज्यादा छूट मिले
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के एमडी-सीईओ भार्गव दासगुप्ता का कहना है कि बीमा पॉलिसी मुश्किल समय में जिस तरह काम आती है उसको देखते हुए इस बार बजट में ज्यादा टैक्स छूट की उम्मीद है। कोटक जनरल इंश्योरेंस के वितरण प्रमुख जगजीत सिद्धु का कहना है सरकार स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स छूट बढ़ा सकती है।

विनिवेश की सूची घटा सकती है सरकार
सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय अगले बजट में निजीकरण की सूची में और सरकारी कंपनियों को जोड़े जाने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि चालू वित्त वर्ष लगातार चौथा साल रहने वाला है जबकि सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य से चूकेगी। ऐसे में सूची घट सकती है।

स्टार्टअप की तरह छोटे उद्योगों को मदद मिले
स्टार्टअप के लिए नई पहल से बड़ा बदलाव आया है। भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन का कहना है कि 6.3 करोड़ एमएसएमई में से करीब 94 फीसदी सूक्ष्म उद्यम हैं। बजट में इन्हें पूंजी के साथ सुझाव और बाजार तक पहुंच बढ़ाने में मदद की घोषणा होने की उम्मीद है।