पूर्वांचल में आंगनबाड़ी के पांच लाख से ज्यादा बच्चे खा रहे एमडीएम



सोनभद्र। आंगनबाड़ी केंद्रों के साढ़े पांच लाख बच्चे प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के हिस्से का मिड-डे-मील खा रहे है। प्राथमिक विद्यालयों में संचालित हो रहे करीब 18859 आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के लिए मिड डे मील के लिए शासन से कोई बजट नहीं मिल रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों से संबंद्ध तो कर दिया गया लेकिन दोपहर में उनके लिए मिड डे मील की कोई व्यवस्था


नहीं की गई। यहां तक की बजट भी

आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए अलग से नहीं मिल रहा बजट

5.80 लाख मासूमों को अपना हिस्सा देते हैं प्राइमरी के बच्चे

नहीं दिया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार पूर्वांचल के सभी दसों जिलों के 18859 आंगनबाड़ी केंद्रों के 579880 बच्चे प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों के साथ पढ़ते हैं। इन बच्चों के लिए शासन की ओर से सिर्फ सुखा पोपाहार ही दिया जाता है। दोपहर में खाने की व्यवस्था अब तक शासन की ओर से नहीं की गई है।

शासन की ओर से आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए एमडीएम GS नही मिलता है। अध्यापक मानवता के कारण केंद्र के बच्चों को स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील खिलाते है। इस कारण विद्यालयों पर थोड़ा अतिरिक्त बोझ पड़ता है, लेकिन एक ही साथ पढ़ने वाले बच्चों में भेदभाव नहीं किया जा सकता। एक ही परिसर में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन कैसे न दिया जाए।

नवीन कुमार पाठक, बीएसए, सोनभद्र:

ऐसे में प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक और प्रधानचार्य मानवता के नाते इन बच्चों को एमडीएम खिलाते हैं। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि जब एक ही परिसर में प्राइमरी और आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे पढ़ते है तो दोपहर में एमडीएम के समय कैसे इन बच्चों को खाना

नहीं दिया जाएगा। उनका कहना है कि केंद्रों के बच्चों को सिर्फ एमडीएम ही नहीं बल्कि मीनू के अनुसार दूध और फल भी दिया जाता है। भोजन के समय केंद्र और स्कूल के बच्चों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। बच्चों में वितरीत किए जाने वाले पोषाहार भी प्राथमिक विद्यालयों को

सर्वाधिक संख्या आजमगढ़ के बच्चों की

दस जिलों के आंगनबाड़ी केंद्र के 579880 बच्चों को प्राथमिक स्कूलों से सम्बद्ध किया गया है। सर्वाधिक संख्या आजमगढ़ जिले का है। यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों के एक लाख 80 हजार बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं वाराणसी के 1074 केंद्रों के 32220 बचे 655 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ते हैं। इसके अलावा बलिया के 90000, सोनभद्र के 60460, मऊ के 37000, चंदौली के 93674, भदोही के 6500 बच्चे, जौनपुर के 15000, गाजीपुर के 13026 और मिर्जापुर के 2000 बच्चे प्राथमिक स्कूलों में आगनबाड़ी केंद्रों से जाते हैं।

आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलता है सूखा पोषाहार

आगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को सूखा पोषाहार ही मिलता है। इसमें चना का दाल गेहू की दलिया, सोयाबीन का तेल व पंजीरी शामिल है। यह पोषाहार भी प्राथमिक विद्यालयों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है, जिससे इन बच्चों के लिए भोजन तैयार कराया जा सके।

नहीं दिया जाता है, ताकि उसे तैयार कराके आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को

मिड डे मील के तौर पर भोजन कराया जा सके।