सेवाकाल के आखिरी पड़ाव पर तदर्थ शिक्षकों को हटाना अन्याय


लखनऊ। माध्यमिक के एडेड कॉलेजों में तैनात तदर्थ शिक्षकों को हटाने के शासन के निर्णय का विरोध तेज होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के साथ ही तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति ने इस निर्णय को शिक्षकों के साथ अन्याय बताया है। खासकर उन शिक्षकों के साथ जिनकी दो, चार या छह साल की सेवा ही बची हुई है।


संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार ने तदर्थ शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान करने का निर्णय लिया, इसका स्वागत है। लेकिन शिक्षकों का बकाया वेतन जल्द रिलीज किया जाए, क्योंकि 17-18 महीने से वेतन न मिलने के कारण शिक्षक बहुत परेशान हैं। समिति के
संयोजक राजमणि सिंह ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति का निर्णय अन्यायपूर्ण है। सरकार अध्यापकों की 20-25 वर्ष की सेवा हो जाने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रही है। 55-58 साल के पड़ाव पर यह शिक्षक कहां जाएंगे? कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ वाद समाप्त करने की बात की है ना की तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की सभी तदर्थ शिक्षकों की सेवा सुरक्षित की जाए। ब्यूरो