एनपीएस प्रकरण✍️ शिक्षक संगठनों में नाराजगी, सभी कॉलेजों की जांच की मांग, क्या है नियम


लखनऊ। बिना सहमति शिक्षक- कर्मचारियों के एनपीएस का पैसा निजी बीमा कंपनियों में जमा करने से शिक्षक संगठनों में काफी नाराजगी है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पांडेय ने कहा कि अभी यह मामला सिर्फ एडेड कॉलेजों का सामने आया है। शासन राजकीय कॉलेजों की भी जांच कराए।


उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रांतीय संयोजक संजय द्विवेदी ने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए। इसमें विभागीय अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आएगी। बिना अधिकारियों की मिलीभगत के नीचे का कर्मचारी पैसे को निजी कंपनियों में निवेश नहीं कर सकता है।

25 जिलों में गड़बड़ी : लखनऊ, बाराबंकी, अंबेडकरनगर
वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, गौतमबुद्ध नगर, इटावा, बुलंदशहर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बलरामपुर, काशगंज, बिजनौर, झांसी, रामपुर, देवरिया, गाजियाबाद, अलीगढ़, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, सोनभद्र।

क्या है नियम

एक अप्रैल, 2005 के बाद नियुक्त/कार्यरत शिक्षक- कर्मचारियों के मूल वेतन का 10 फीसदी और सरकार का 14 फीसदी अंश एनएसडीएल के माध्यम से निर्धारित एसबीआई, एलआईसी या यूटीआई में जमा किया जाएगा। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को लिंक व पासवर्ड दिया गया है। संबंधित अंशधारक की सहमति से इसे अन्य निजी बीमा कंपनियों में जमा कर सकते हैं। संबंधित कर्मी अपने परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर (प्रान) से इसकी जानकारी कर सकेंगे।