निपुण हुए पर नहीं बढ़ी शैक्षणिक गुणवत्ता: असर



निपुण हुए पर नहीं बढ़ी शैक्षणिक गुणवत्ता

- चौथी कक्षा के छात्र नहीं पढ़ पा रहे दो अक्षर के शब्द, उठ रहे सवाल




नोएडा/ग्रेटर नोएडा । वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर ) में देश के 14 से 18 आयु वर्ग के 25 फीसदी छात्र कक्षा दो की क्षेत्रीय भाषा की पुस्तक पढ़ने में असमर्थ मिले हैं। 26 राज्यों के 28 जिलों में 34745 बच्चों पर सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट जारी की गई है। जिले में भी कई स्कूल हैं, जो निपुण घोषित हो गए हैं, लेकिन उसमें पढ़ने वाले छात्र देश का नाम तक नहीं लिख पा रहे हैं। यहां तक की आ की मात्रा वाले दो अक्षर के शब्द तक नहीं पढ़ पाए। ऐसे में शैक्षणिक गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। बृहस्पतिवार को अमर उजाला टीम ने जिले के कई परिषदीय स्कूलाें का दौरा किया। इस दौरान कई स्कूल ऐसे मिले जहां शिक्षक क्लास से गायब थे, मॉनिटर के भरोसे स्कूल चल रहे थे। कुछ स्कूल में छात्र खुले आसमान में कपकपाती ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ रहे थे।





नहीं पढ़ पाए दो अक्षर के शब्द



नवादा के कंपोजिट स्कूल निपुण घोषित किया जा चुका है। लेकिन यहां चौथी क्लास के छात्र हिंदी नहीं पढ़ पा रहे हैं। बच्चे स्कूल की दीवार पर लिखे ‘जल संरक्षण हो सबका नारा ताकि संतुलित रहे पर्यावरण हमारा’ नहीं पढ़ सके। एक अन्य बच्चे से जब पूछा गया इंडिया कैसे लिखेंगे तो वह नहीं बता पाया। यही नहीं, स्कूल के अंदर चाउमीन, पेटीज जैसे फास्ट फूड की रेहड़ी लगी हुई मिली। जब इनसे पूछा गया कि स्कूल के अंदर रेहड़ी लगाने की अनुमति किसने दी तो उन्होंने बताया शिक्षकाें ने कहा है। लेकिन साथ में शिक्षकों ने यह भी कहा था कि उनको मुफ्त में खिलाना होगा।





ठंडे फर्श पर बैठकर कैसे सवारें भविष्य



चौड़ा गांव के प्राथमिक स्कूल के छात्र खुले आसमान में जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते दिखाई दिए। ठंड में छात्रों के लिए नीचे बैठना तक मुश्किल हो रहा था। फर्श इतना ठंडा था कि उनको बार-बार उठना पड़ रहा था। कुछ छात्र दरी पर कपड़ा डालकर बैठ गए, ताकि ठंड से कुछ हद तक बच सकें। तीसरी कक्षा के छात्र मनीष ने रिपोर्टर से पूछा, हम लोगों को बैठने के लिए डेस्क मिल पाएंगे क्या। इतनी ठंड में जमीन में बैठकर नहीं पढ़ा जाता। वहीं, सेक्टर- 12 के प्राथमिक स्कूल में गेट खोलने और बंद करने की जिम्मेदारी छात्रों को दी गई है। दोपहर करीब दो बजे छात्र से गेट पर खड़े रहने का कारण पूछा गया तो तो उसने बताया टीचर से मिलने कोई आया था। अब वो चले गए हैं तो गेट बंद करने आया है।



पढ़ना नहीं आया तो 186 छात्रों को नहीं दिया दाखिला

शहर के सरकारी स्कूलों की रिपोर्ट पहले से ही खराब है। रिजल्ट और खराब न हो इससे बचने के लिए हिंदी नहीं पढ़ पा रहे 186 छात्रों को स्कूल में दाखिला ही नहीं दिया। मजबूरी में अब इन छात्रों को एक सामाजिक संस्था पढ़ा रही है।



388 में से मात्र 107 स्कूल मिले निपुण

बेसिक शिक्षा विभाग ने पहले दावा किया था कि बिसरख ब्लाॅक के सभी स्कूल निपुण हो गए हैं। इसके बाद डायट के छात्रों ने स्कूलों का सर्वे किया है। सूत्रों की माने तो 15 दिनों में 388 स्कूलों का सर्वे किया गया, लेकिन इसमें से 107 स्कूल ही निपुण मिले हैं। हालांकि अभी शिक्षा विभाग इस बारे में कुछ बता नहीं रहा है। इससे पहले निपुण एसेसमेंट परीक्षा में जिले के 23 प्रतिशत छात्रों के 50 प्रतिशत से कम अंक आए हैं। इसमें छात्रों की भाषा, गणित और विज्ञान की परीक्षा ली गई थी। हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि निपुण एसेसमेंट परीक्षा में जिला पहले स्थान पर रहा।



जिले में 512 स्कूलों में पढ़ते हैं 87 हजार छात्र



जिले में 512 परिषदीय स्कूल हैं, जिसमें 297 प्राथमिक, 53 जूनियर और 161 कंपोजिट स्कूल हैं। इनमें करीब 87 हजार छात्र पढ़ते हैं। हालांकि पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में कुछ छात्र कम हुए हैं। इन परिषदीय स्कूलों में 2400 दिव्यांग छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, पिछले करीब 19 महीनों में कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत 250 करोड़ रुपये से 25 स्कूलों में कायाकल्प का कार्य किया गया है। सीएसआर फंड से कार्य कराने में जिला प्रदेश में पहले स्थान पर है।



कोविड से खराब हुई विद्यार्थियों की पढ़ाई



कोविड के दौरान बच्चे दो साल से अधिक समय तक घर पर ही रहे। स्कूलों की ओर से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया गया। बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में छात्रों को भेज दिया गया। इससे छात्र पढ़ाई में पिछड़ गए। इसलिए शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा एक से कक्षा तीन तक के छात्रों के लिए निपुण भारत मिशन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें एप पर कक्षा एक के छात्र को एक मिनट में 40 शब्द, कक्षा दो के छात्रों को 60 और कक्षा तीन के छात्र को 80 शब्द पढ़ने होते हैं। यदि बच्चा नहीं पढ़ पाता तो एप उनको फेल कर देता है।





जेवर ब्लॉक में 115 स्कूल हैं, इसमें से 30 स्कूल निपूण हो गए हैं। अन्य स्कूलों के छात्रों को निपुण बनाने का प्रयास किया जा रहा है।



मोहम्मद राशिद, खंड शिक्षा अधिकारी, जेवर

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थर्ड पार्टी से कराए गए निपुण सर्वे की रिपोर्ट अभी नहीं आई हैं। शिक्षक छात्रों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इससे छात्रों में है।

यशपाल सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, बिसरख ब्लॉक

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कोविड के दौरान प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। इसी के लिए निपुण मिशन चलाया जा रहा है और शिक्षक भी अपने स्तर पर उनको बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं।

श्वेता वर्मा, उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ