आरओ/एआरओ की मुख्य परीक्षा का टलना तय, लोक सेवा आयोग की समिति 23 मार्च तक करेगी पेपर लीक के आरोपों की जांच, कैलेंडर में 28 जुलाई से प्रस्तावित है मेन्स

 

समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों के बीच इस भर्ती की मुख्य परीक्षा का अब समय से होना मुश्किल लग रहा है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपने वार्षिक कैलेंडर में आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 11 फरवरी और मुख्य परीक्षा 28 जुलाई से कराने की तारीख दी थी। प्रारंभिक परीक्षा तो समय पर हो गई लेकिन पेपर लीक के आरोपों के कारण आगे की प्रक्रिया रुक गई है।


मुख्यमंत्री ने शनिवार को इस भर्ती में हुई गड़बड़ियों की शिकायत की जांच कराने का फैसला लिया है। इससे पूर्व आयोग ने पेपर लीक के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय आंतरिक समिति गठित की है, जिसने दो मार्च तक अभ्यर्थियों से ऑनलाइन साक्ष्य मांगे हैं। उसके बाद तीन सप्ताह में आंतरिक समिति की जांच पूरी होगी। यानि जांच पूरा होने में ही 23 मार्च तक समय लग जाएगा। उसके बाद यदि पेपर लीक के आरोप खारिज हो जाएं और शासन स्तर की जांच में क्लीन चिट मिल जाए तो भी 28 जुलाई से मुख्य परीक्षा कराना मुश्किल होगा क्योंकि प्रारंभिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच और उसका परिणाम घोषित करने के साथ मुख्य परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन भी लेना होगा। उसके बाद केंद्र निर्धारित करते हुए मुख्य परीक्षा कराना होगा। गौरतलब है कि आरओ के 334 और एआरओ के 77 कुल 411 पदों के लिए 11 फरवरी को प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्रों पर आयोजित की गई इस भर्ती परीक्षा में 64 प्रतिशत अभ्यर्थी उपस्थित थे।


शासन के साथ ही जारी रहेगी आयोग की जांच


मुख्यमंत्री के निर्देश पर आरओ/एआरओ में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। इसके बावजूद आयोग की आंतरिक जांच चलती रहेगी। आयोग स्वायत्तशासी संस्था है और उसने पहले ही तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है। समिति ने सभी 58 जिलों के नोडल अफसरों से 2387 परीक्षा केंद्रों की रिपोर्ट मांगी है। इतनी बड़ी संख्या में केंद्र होने के कारण एक-एक केंद्र की सीसीटीवी फुटेज की जांच करना और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा।


सिपाही भर्ती रद्द होने से आयोग पर बढ़ा दबाव


प्रयागराज। 17 व 18 फरवरी को आयोजित सिपाही भर्ती परीक्षा-2023 निरस्त करने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले से लोक सेवा आयोग पर भी दबाव बढ़ गया है। प्रतियोगियों का कहना है कि पेपर लीक की जिस तरह की शिकायत सिपाही भर्ती में सामने आई है, कमोवेश वैसी ही शिकायत आरओ-एआरओ को लेकर भी है इसलिए इसे भी निरस्त किया जाना चाहिए।


आयोग ने की थी जांच की सिफारिश


आरओ/एआरओ में पेपर लीक के आरोप लगने के दूसरे दिन 12 फरवरी को ही लोक सेवा आयोग ने पूरे प्रकरण की एसटीएफ से जांच कराने के लिए शासन से सिफारिश की थी। इसी के साथ आयोग ने भी अपनी जांच शुरू कर दी थी। पेपर लीक का आरोप लगाते हुए प्रतियोगी छात्रों ने आयोग दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया। शुक्रवार को हजारों की संख्या में आयोग दफ्तर पहुंचे प्रतियोगी छात्रों ने आयोग अध्यक्ष, सदस्यों सहित अफसरों और कर्मचारियों को बंधक बनने पर मजबूर कर दिया था।



प्रदर्शन करने पहुंचे दो छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया

प्रयागराज, आरओ/एआरओ 2023 परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगाते हुए परीक्षा रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग को लेकर शनिवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे दो छात्रों मनीष कुमार और अनुज को पुलिस ने उठा लिया। आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र मनीष कुमार और अन्य प्रतियोगी छात्र आयोग पर तकरीबन 11 बजे पहुंचे तो पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने तुरंतहिरासत में ले लिया। अन्य छात्रों को वहां से जबरन हटा दिया गया।


इसके विरोध में जब छात्रों ने बालसन चौराहे पर गांधी प्रतिमा के सामने विरोध और प्रदर्शन की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें वहां से भी जबरन उठा दिया। इसके बाद छात्रों ने साथियों की रिहाई के लिए जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। प्रतियोगी छात्रा नेहा ने कहा कि शुक्रवार को शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन के बावजूद कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। आधी रात में आयोग के सचिव की ओर से आश्वासन देकर छात्रों को हटा दिया गया। यदि सिपाही भर्ती का पेपर रद्द हुआ है तो आरओ/एआरओ का क्यों नहीं। आइसा नेता विवेक कुमार ने कहा कि आरओ/एआरओ में भी व्यापक पैमाने पर नकल व धांधली हुई है। इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि दमनपूर्वक किसी भी आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता।