नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत ढाई अरब से चुकाएंगे गरीब बच्चों की फीस, यूनिफॉर्म, कॉपी-किताब के लिए 35 करोड़ रुपये

 प्रयागराज। नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे प्रदेशभर के सवा तीन लाख से अधिक गरीब बच्चों की फीस के लिए सरकार ने ढाई अरब की भारी-भरकम रकम जारी की है। निजी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले अलाभित और दुर्बल समूह के प्रत्येक बच्चे के लिए 450 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से बजट जारी किया गया है। 2023-24 शैक्षणिक सत्र के अलावा बकाया कुल 2542451344 (दो अरब चौवन करोड़ चौबीस लाख इक्यावन हजार तीन सौ चौवालिस) रुपये जारी हुए हैं। 2023-24 सत्र के साथ पुरानी फीस नहीं मिलने पर स्कूल वाले इन गरीब बच्चों के अभिभावकों पर दबाव बना रहे थे।



यूनिफॉर्म, कॉपी-किताब के लिए 35 करोड़ रुपये

फीस के रूप में ढाई अरब से अधिक देने के साथ ही सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे गरीब बच्चों की यूनिफॉर्म और कॉपी-किताब आदि के लिए 35,66,45,000 जारी हुए हैं। हर साल सरकार प्रत्येक छात्र को पांच हजार रुपये ड्रेस, कॉपी-किताब आदि के लिए देती है। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल की ओर से 2023-24 सत्र में प्रवेशित बच्चों के लिए ही राशि मिली है। उससे पहले प्रवेश लेने वाले हजारों बच्चों को अभी वित्तीय सहायता का इंतजार है।


आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में अध्ययनरत वंचित वर्ग के बच्चों की फीस और वित्तीय सहायता की राशि मिल चुकी है। इसका भुगतान भी किया जा चुका है।


- प्रवीण कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी


लखनऊ में सर्वाधिक 35666 विद्यार्थी पंजीकृत

आरटीई के तहत लखनऊ में वंचित वर्ग के सर्वाधिक 35666 छात्रों के निजी स्कूलों में पढ़ाई का सपना पूरा हो रहा है। वाराणसी में 34467, आगरा में 13934, कानपुर नगर में 12231, गाजियाबाद में 11999, मुरादाबाद में 11887 बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। प्रयागराज में 5932 बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।