कानपुर। उत्तर प्रदेश के दीनों मदरसों में अब बिना आधार के प्रवेश नहीं मिलेगा। दाखिले के समय बच्चों संग अभिभावकों का आधार कार्ड भी लगेगा।
अभिभावकों से शपथ पत्र भी लिया जाएगा जिसमें लिखा होगा कि अपनी मर्जी से बच्चे का प्रवेश मदरसे में करा रहे हैं। जमीअत उलमा ए हिंद की ओर से इसे अनिवार्य किया गया है। जमीअत उलमा के सेंट्रल जोन की दो दिवसीय बैठक में दीनी मदरसों में सुधार पर चर्चा की गई। मदरसों की तालीमी निजाम (शिक्षा की व्यवस्था), आंतरिक व्यवस्था और प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव पर भी मंथन किया गया। इसमें जमीअत उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भी शिरकत की थी।
प्रांतीय उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला कासिमी के मुताबिक अब मदरसों की पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी। हर तरह के दस्तावेज और कागजात दुरुस्त करने पर भी जोर रहेगा। दीनी मदरसा संचालकों से साफ तौर पर कहा गया है कि वे जब बच्चों का प्रवेश लें तो बच्चों और अभिभावकों का आधार कार्ड जरूर मांगें।
कासिमी ने बताया कि यदि प्रवेश लेने वाले बाहरी राज्यों या जिलों के छात्र हैं तो मदरसा संचालक आधार के अलावा उनका भी पूरा सत्यापन करें। इसके अतिरिक्त अभिभावक से इस आशय का शपथ पत्र भी ले लें कि वे अपने बच्चे का मदरसे में प्रवेश अपनी मर्जी से करा रहे हैं। इसमें किसी तरह का दबाव नहीं है।
सोसाइटी रजिस्टर्ड करा संचालन करें
मदरसों के आंतरिक सुधार के लिए यह भी कहा गया कि इनका संचालन सोसाइटी रजिस्टर्ड कराकर करें। आरटीई में दीनी मदरसे नहीं आते हैं इसलिए यदि कोई मान्यता का सवाल उठाता है तो उसे शिक्षा का अधिकार एक्ट का हवाला दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति भी अपने पास रखें। सभी मदरसा संचालकों को एक किट भी दी गई जिसमें आरटीई एक्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अन्य जानकारियां शामिल थीं। मौलाना कासिमी ने बताया कि सरकार ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं वह उपयोगी भी हैं। आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षा के लिए छात्रावास और रसोई घर की सफाई के साथ-साथ अग्निशमन प्रणालियों का प्रबंधन भी बहुत महत्वपूर्ण है। मदरसों में न सिर्फ आग बुझाने की व्यवस्था की जाए बल्कि इन्हें हर वक्त दुरुस्त भी रखा जाए। जो लोग भी मदरसे में हैं उन्हें बकायदा इसका प्रशिक्षण भी दिया जाए।