लखनऊ। ज्यादातर माध्यमिक स्कूलों में मानवाधिकार शिक्षा केवल पाठ्य पुस्तकों तक सीमित है। शिक्षक प्रशिक्षण की गंभीर कमी है। राज्य बोर्ड से सम्बद्ध विद्यालयों की तुलना में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से जुड़े संस्थानों में इस विषय का बेहतर समावेश पाया गया।
देखा गया कि जिन विद्यार्थियों को ह्यूमन राइट्स एजुकेशन से व्यवस्थित रूप से अवगत कराया, उनमें आत्मविश्वास की क्षमता अधिक विकसित हुई। यह तथ्य लोहिया विवि की डॉ. अपर्णा सिंह के शोध से सामने आए। डॉ. अपर्णा ने बताया कि मानवाधिकार शिक्षा केवल विषय नहीं नागरिकों के निर्माण की प्रक्रिया है।