काकोरी। प्राथमिक विद्यालय कुसमी को बंद कर जब भलिया में विलय किया गया, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि इसका असर इतने गहरे तक जाएगा। अब हालात ये हैं कि कुसमी के 18 बच्चों ने नया स्कूल छोड़ दिया है। वजह ढाई किलोमीटर की दूरी और सड़क से गुजरते तेज रफ्तार वाहन, जो अभिभावकों के लिए सबसे बड़ा डर बन गया है।
'बच्चे तो छोटे हैं साहब, सड़क पार करते हुए डर लगता है। फीस तो देंगे, लेकिन जान बची तो ही पढ़ेंगे' यह कहना है गांव के अयोध्या प्रसाद का, जिनके पोते ने अब गांव के एक निजी स्कूल में दाखिला ले लिया है। कुसमी प्राथमिक विद्यालय में पहले 34 बच्चे पढ़ते थे। अब उनका नामांकन भलिया के विद्यालय में कर दिया गया है, जहां पहले से तीन सहायक अध्यापक थे। कुसमी के एक सहायक अध्यापक, दो शिक्षामित्र और दो रसोइयों की तैनाती अब वहीं कर दी गई है। कागजों पर भलिया स्कूल में अब बच्चों की संख्या 92 हो गई
है, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। स्कूल में नाम तो है, लेकिन बच्चे आते नहीं हैं।
बच्चों के स्कूल न जाने की एक बड़ी वजह दूरी है। भलिया विद्यालय करीब 2.5 किलोमीटर दूर है और वहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को व्यस्त सड़क पार करनी होती है। छोटे बच्चों के लिए यह सफर हर दिन जान जोखिम में डालने जैसा है। कुसमी के ही बेचालाल और धर्मपाल जैसे अभिभावक मानते हैं कि स्कूल का विलय जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। हमसे कोई राय नहीं ली गई। ये बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। धर्मपाल में नाराजगी है कि उनके मुताबिक ऐसा नहीं होना चाहिए था।
कुसमी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने तो दूसरे स्कूल में तैनाती ले ली है लेकिन ज्यादातर बच्चें गांव में ही रह गए हैं। हालांकि कुछ बच्चों ने स्कूल जाने का मन बनाया है, लेकिन कितने दिन जाएंगे ये नहीं बताया है।