लखनऊ। प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद बच्चों को और बेहतर संसाधन व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। विद्यालयों को आपस में जोड़कर एकीकृत और प्रतिस्पर्धात्मक शैक्षिक वातावरण देने के लिए काम किया जा रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार इस व्यवस्था से कम नामांकन वाले विद्यालयों को पास के बड़े स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। इससे एक ओर शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी तो छात्रों को लाइब्रेरी, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं भी साझा रूप से मिल सकेंगी। यही नहीं निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की पढ़ाई और गतिविधियां एक ही परिसर में होंगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत
विद्यालयों की पेयरिंग से सरकार ने संसाधनों का बेहतर प्रयोग और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण व समावेशी शिक्षा का लाभ दिलाने की मुहिम चलाई है। यह योजना सिर्फ यूपी में ही नहीं लागू की जा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है। राजस्थान में 17 हजार से अधिक स्कूलों का एकीकरण किया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश में एक परिसर, एक शाला मॉडल के तहत 16076 एकीकृत स्कूल बनाए गए हैं।
ओडिशा ने 9000 से अधिक विद्यालयों का एकीकरण किया गया है। झारखंड जहां 65 फीसदी स्कूलों में एक या दो शिक्षक थे वहां एकीकरण से शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ है।
हिमाचल और असम में भी विद्यालयों की पेयरिंग कर संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाई गई है। एकीकरण से छात्रों और
शिक्षकों दोनों को लाभ होगा। इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और पियर लर्निंग से पठन-पाठन भी बेहतर होगा।
कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा
विभाग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं होगा, बल्कि और बेहतर होगा। एक स्कूल को प्री प्राइमरी तो दूसरे को प्राथमिक या उच्च प्राथमिक के रूप में संचालित किया जाएगा। इन्हें स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, ओपन जिम, बाल सुलभ फर्नीचर, वाई-फाई, स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। अगले चरण में मुख्यमंत्री अभ्युदय और मॉडल कंपोजिट विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं। जहां पर प्री-प्राइमरी से कक्षा-8 तक और प्री-प्राइमरी से कक्षा-12 तक की पढ़ाई की व्यवस्था होगी।
शिक्षा में सुधार की सार्थक पहल है एकीकरण
नई शिक्षा नीति केवल पाठ्यक्रम और डिग्री तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे सामाजिक नवाचार, जीवन कौशल और समावेशन के औजार के रूप में देखती है। प्रदेश में विद्यालयों का एकीकरण इसी नीति के लक्ष्यों की ओर एक प्रयास है। 2017 के पहले विद्यालयों में न बच्चे थे, न संसाधन, न शिक्षक। एक ही शिक्षक से तीन कक्षाओं का संचालन कराया जाता था। कई स्थानों पर विद्यालयों में छात्र संख्या इतनी कम थी कि वहां पढ़ाई का कोई औचित्य ही नहीं था। हमने विद्यालयों की दशा सुधारी, बच्चों को मुफ्त किताबें दीं। ड्रेस आदि के लिए डीबीटी से सीधे खातों में पैसा भेजते हैं। एकीकरण से हर कक्षा और विषय के शिक्षकों की उपलब्धता होगी। साथ ही बच्चों को पठन-पाठन से जुड़ी हर आधुनिक सुविधा दी जाएगी। संदीप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)